प्रधानमंत्री नेतन्याहू की सरकार पर संकट
जेरूसलेम (इजराइल) – इज़राइल के सर्वोच्च न्यायालय ने 25 जून को आदेश दिया कि इज़राइल में कट्टरपंथी यहूदियों को अब से अन्य नागरिकों की तरह सैन्य सेवा करनी होगी। कोर्ट ने सरकार से यह भी कहा है कि इसके लिए कानून बनाया जाना चाहिए । इससे प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार पर संकट आने की आशंका जताई जा रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि नेतन्याहू की गठबंधन सरकार दो कट्टरपंथी यहूदी पार्टियों के समर्थन पर टिकी है। दोनों पक्षों की ओर से कहा गया है कि हमारा अनुबंध यह है कि कट्टर यहूदी छात्रों को सैन्य सेवा से छूट मिलती रहनी चाहिए ताकि सरकार को समर्थन मिलता रहे ।
Ultra-Orthodox Jews must be drafted into military
– Israel’s Supreme CourtPrime Minister Netanyahu’s government faces a crisis pic.twitter.com/K8bDd7Rwev
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) June 26, 2024
१. ये परिणाम भ्रम में डालनेवाला है ऐसी प्रतिक्रिया नेतन्याहू की लिकुड पार्टी ने व्यक्त की है।
२. इजराइल की सेना का इस समय दो आतंकवादी संगठनों, गाजा में हमास तथा लेबनान में हिजबुल्लाह से युद्ध हो रहा है। इससे इजरायली सेना पर तनाव बढ़ गया है और उन्हें नई सैन्य भर्तियों की अवश्यकता है।
३. सेना को रक्षा मंत्री योआव्ह गॅलंट का समर्थन प्राप्त है। यदि वे कट्टरपंथी यहूदियों के लिए सैन्य भर्ती अनिवार्य करने का कानून कार्य करना आरंभ करते हैं, तो सत्तारूढ़ गठबंधन में मतभेद हो सकता है।
क्या कहता है सैन्य भर्ती का वर्तमान कानून ?
इजरायली कानून के अनुसार , युवाओं को 18 साल की आयु से लेकर 24 से 32 महीने तक सेना में भरती होना अनिवार्य होता है। लेकिन कुछ लोगों को इसमें छूट भी है । अरब, जो 21 प्रतिशत अल्पसंख्यक हैं, धार्मिक छात्र जो कट्टर यहूदी हैं, आदि को भर्ती से छूट दी गई है। उन्हें सेना में सम्मिलित होना बंधनकारक नहीं है। किंतु वर्तमान समय में एक कठिन युद्ध चल रहा है, तो ऐसी असमानताएँ पहले से कहीं अधिक तीव्र दिखाई दे सकती हैं, ऐसा निरीक्षण इज़राइल के सुप्रीम कोर्ट ने प्रस्तुत किया है।