सनातन संस्था की ओर से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में ऑनलाइन प्रवचन

फरीदाबाद (हरियाणा) – सनातन संस्था की ओर से साधना का हमारे जीवन में महत्त्व व शास्त्रानुसार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कैसे मनाएं, इस विषय पर देहली व फरीदाबाद के जिज्ञासुओं के लिए ऑनलाइन प्रवचन का आयोजन किया गया ।

भाव के मूर्तिरूप हैं झारखंड निवासी सनातन के ७३ वें संत पू. प्रदीप खेमकाजी !

संत होने के उपरांत भी पू. खेमकाजी सेवा संबंधी सभी सूत्र उस सेवा से संबंधित उत्तरदायी साधक से पूछते हैं । उनका अनुभव भी बहुत है; परंतु वे अपने मन से कुछ नहीं करते हैं ।

धनबाद की साधिका श्रीमती सोम गुप्ता ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त कर जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त

(आयु ६४ वर्ष ) इस आयु में भी वे स्वयं दोपहिया वाहन पर हिन्दी पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ का ७७ अंकों का वितरण ४ दिनों में पूर्ण करती हैं । ‘सनातन प्रभात’ आने पर ‘यह गुरुदेवजी का प्रसाद है और वह तुरंत सभी को देना चाहिए’, ऐसा उनका भाव रहता है ।

बेळगांववासी सनातन के संत पू. डॉ. नीलकंठ अमृत दीक्षित (९२ वर्ष) का देहत्याग !

बेळगांव (कर्नाटक) – सनातन संस्था के ८७ वें संत पू. डॉ. नीलकंठ अमृत दीक्षितजी (९२ वर्ष) ने २७ जुलाई को रात ९.३५ बजे यहां अपने घर में देहत्याग किया । २८ जुलाई को सवेरे उनका अंतिम संस्कार किया गया ।

आज की स्थिति में ‘कोरोना विषाणु’ संक्रमण के कारण मृतक के शरीर पर अग्निसंस्कार करना संभव न हो, तो ऐसी स्थिति में धर्मशास्त्र के अनुसार की जानेवाली ‘पलाशविधि’ !

‘देश में सर्वत्र ‘कोरोना’ विषाणु संक्रमण का प्रकोप बढता ही जा रहा है और उसके कारण अनेक लोगों की मृत्यु भी हो रही है । इस संक्रमण के कारण किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर उसके परिवारजनों को उस व्यक्ति का मृत शरीर नहीं सौंपा जाता ।

जळगांव सेवाकेंद्र की श्रीमती क्षिप्रा जुवेकर ने प्राप्त किया ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर !

‘‘श्रीमती क्षिप्रा जुवेकर ने ऑनलाइन सत्संग के नियोजन में समर्पित भाव से सेवा की । प्रतिकूल परिस्थिति में भी स्थिर रहना, क्षात्रतेज, स्वीकारने की वृत्ति और साधकों के प्रति प्रेमभाव, इन गुणों के आधार पर वे ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त कर जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो गई हैं ।’’

मथुरा (उत्तर प्रदेश) के ६७ प्रतिशत आध्‍यात्मिक स्‍तर के विनय वर्मा की गुणविशेषताएं, निधन से पूर्व उन्‍हें हुआ कष्‍ट और निधन के उपरांत ध्‍यान में आए सूत्र और हुईं अनुभूतियां :

मथुरा (उत्तर प्रदेश) के सनातन के ६७ प्रतिशत आध्‍यात्मिक स्‍तर प्राप्‍त साधक विनय वर्मा (आयु ४१ वर्ष) का १४.७.२०२० को दोपहर ४.५० बजे निधन हुआ ।

‘कोरोना’ विषाणु के फैलाव से उत्‍पन्‍न आपातकालीन स्‍थिति में ‘नागपंचमी’ की पूजा कैसे करें ?

‘नागों से हमारे परिजनों की सदैव रक्षा हो तथा नागदेवता की कृपा हो’, इस हेतु प्रति वर्ष श्रावण शुक्‍ल पंचमी अर्थात नागपंचमी को नागदेवता की पूजा की जाती है । इस वर्ष नागपंचमी २५.७.२०२० को है ।

ज्ञान, भक्ति और कर्म मार्ग से साधना करने की क्षमता रखनेवाले एकमेवाद्वितीय सनातन के सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी !

संत प्राय: किसी एक योगमार्ग से साधना करते हैं; किंतु सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ज्ञानयोग, कर्मयोग और भक्तियोग, इन तीनों मार्गों से साधना करते हैं ! उनकी शीघ्र प्रगति का मुख्य कारण यह है कि अध्यात्म की जो बातें समझीं, उनका उन्होंने तुरंत पालन किया ।

ढलती आयु में भी नई बातें सीखने की लगन और प्रत्येक बात का श्रेय गुरुदेवजी को देनेवाले पू. भगवंत कुमार मेनरायजी !

रामनाथी आश्रम में कुछ साधकों को एरोमाथेरेपी सिखाई जा रही थी । पू. मेनरायजी उस विषय में जिज्ञासा से प्रश्‍न पूछते हैं और मुझे भी यह थेरेपी सीखनी है, ऐसा कहते हैं । वे हिन्दी भाषी हैं तथा उन्हें मराठी नहीं आती । अधिकतर साधक मराठी भाषी हैं; इसलिए उनके साथ मराठी मेें बात करने के लिए वे मराठी सीख रहे हैं ।