ग्रन्थमाला आगामी आपातकालकी संजीवनी

आगामी कालमें विश्वयुद्ध सहित बाढ, भूकम्प आदि प्राकृतिक आपदाएं भी होंगी । ऐसेमें विकार और आपदाओं का सामना करनेकी पूर्वतैयारीके रूपमें यह ग्रन्थमाला पढें ! ये ग्रन्थ सामान्यतः भी उपयुक्त हैं ।

आगामी आपातकाल की तैयारी के रूप में, साथ ही सदैव के लिए स्वयं के घर में न्यूनतम २ – ३ तुलसी के पौधे लगाएं !

हिन्दू धर्म और आयुर्वेद में तुलसी को अत्यधिक महत्त्वपूर्ण बताया गया है । तुलसी में श्रीविष्णु तत्त्व होता है । धर्मशास्त्र कहता है कि ‘प्रत्येक घर में तुलसी होनी ही चाहिए ।’ तुलसी असंख्य विकारों में उपयोगी है ।

विश्वयुद्ध, भूकंप आदि आपदाओं का प्रत्यक्ष सामना कैसे करें ?

दो सुनामी लहरों में बहुधा कुछ मिनटों अथवा घंटों का अंतर हो सकता है । इसलिए पहली सुनामी की लहर आने के पश्चात भी आगे आनेवाली संभावित बडी लहरों का सामना करने की तैयारी रखें ।

विश्वयुद्ध, भूकंप आदि आपदाओं का प्रत्यक्ष सामना कैसे करें ?

भूकंप कब, कहां और कितनी क्षमता का होगा, इसका पूर्वानुमान लगाना संभव नहीं । इसलिए यदि हमने सदैव सतर्कता, समयसूचकता और धैर्य रखा, तो जन-धन की हानि टलेगी अथवा अल्प हो सकती है ।

आगामी आपातकाल में सहायता का वरदान प्रमाणित होनेवाली सनातन की महत्त्वपूर्ण ग्रंथसंपदा !

सनातन संस्था ने ‘आपातकाल में संजीवनी सिद्ध होनेवाली ग्रंथमाला’ बनाई है । इस ग्रंथमाला से सीखी हुई उपचार-पद्धतियां केवल आपातकाल की दृष्टि से ही नहीं, अपितु अन्य समय भी उपयुक्त हैं; क्योंकि वे मनुष्य को स्वयंपूर्ण और कुछ मात्रा में परिपूर्ण भी बनाती हैं ।

आपातकाल में प्राणरक्षा हेतु करने योग्य तैयारी

आपातकाल में सुरक्षित रहने हेतु व्यक्ति अपने बल पर कितनी भी तैयारी करे, महाभीषण आपदा से बचने हेतु अंत में पूर्ण विश्वास ईश्वर पर ही रखना पडता है । मानव यदि साधना कर ईश्वर की कृपा प्राप्त करे, तो ईश्वर किसी भी संकट में रक्षा करते ही हैं ।

आपातकाल की पूर्वतैयारी के लिए घर की बालकनी में सब्जियों के रोपण हेतु साधकों द्वारा किए प्रयास, उन्हें सीखने के लिए मिले सूत्र एवं अनुभव हुई गुरुकृपा !

कोई भी पूर्वानुभव न होते हुए भी अल्प कालावधि में अनेक प्रकार की सब्जियों का सफलतापूर्वक रोपण कर पाएं और २ परिवार हेतु पर्याप्त सब्जियां मिलने लगीं ।

कोरोनारूपी आपातकाल हेतु मार्गदर्शक स्तंभ !

यह सिद्ध हो चुका है कि ‘नामजप न केवल आध्यात्मिक उन्नति के लिए पूरक है, वह विविध विकारों के निर्मूलन के लिए लाभदायक भी है । वर्तमान कोरोना महामारी के काल में रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होने के लिए योगासन, प्राणायाम, आयुर्वेदीय उपचार इत्यादि प्रयास समाज के लोग कर रहे हैं ।

आपतकाल की वटपूर्णिमा (वटवृक्ष की पूजा) !

ज्येष्ठ पूर्णिमा अर्थात इस वर्ष २४.६.२०२१ को वटपूर्णिमा है । वर्तमान में भारत में यातायात बंदी के कारण स्त्रियों का वट (बरगद) के वृक्ष के पास एकत्रित होकर वटवृक्ष की पूजा करना संभव नहीं है ।

वास्तव में विश्वयुद्ध, भूकंप : आपदाओं का सामना कैसे करें ?

पिछले अनेक वर्षाें से सनातन संस्था बता रही है कि आपातकाल अब दरवाजे तक पहुंच गया है और वह कभी भी भीतर प्रवेश कर सकता है । पिछले पूरे वर्ष से चल रहा कोरोना महामारी का संकट आपातकाल की ही एक छोटी-सी झलक है ।