आपतकाल की वटपूर्णिमा (वटवृक्ष की पूजा) !

     ज्येष्ठ पूर्णिमा अर्थात इस वर्ष २४.६.२०२१ को वटपूर्णिमा है । वर्तमान में भारत में यातायात बंदी के कारण स्त्रियों का वट (बरगद) के वृक्ष के पास एकत्रित होकर वटवृक्ष की पूजा करना संभव नहीं है । इस कारण कुछ लोग वटवृक्ष की डाली घर में लाकर उसकी पूजा करते हैं; किंतु यह पूर्णतः अनुचित है । इससे वटवृक्ष पूजन करने का मूल उद्देश्य सफल नहीं होता । सुहागिनें घर से बाहर न जाकर आगे दिए अनुसार पूजा कर सकती हैं ।

१. पीढे की परिक्रमा की जा सके, इस पद्धति से पूर्व-पश्चिम की दिशा में पीढे को रखें ।

२. पीढे पर चंदन से वटवृक्ष का रेखाचित्र बनाएं ।

३. हम प्रत्यक्ष में वटवृक्ष के नीचे बैठे हैं, ऐसा भाव रखकर उसकी विधिवत पूजा करें ।

४. हम प्रत्यक्ष वटवृक्ष की परिक्रमा कर रहे हैं, ऐसा भाव रखकर पीढे को कच्चा सूत अथवा डोरी बांधें और पति की दीर्घायु के लिए प्रार्थना करें ।

५. शहर में ‘फ्लैट’ (सदनिका) में यदि स्थान पर्याप्त न हो, तो पूजा के उपरांत प्रार्थना कर पीढे को हटा सकते हैं ।

– श्री. दामोदर वझे, संचालक, सनातन पुरोहित पाठशाला, रामनाथी, गोवा.