वास्तव में विश्वयुद्ध, भूकंप : आपदाओं का सामना कैसे करें ?

     पिछले अनेक वर्षाें से सनातन संस्था बता रही है कि आपातकाल अब दरवाजे तक पहुंच गया है और वह कभी भी भीतर प्रवेश कर सकता है । पिछले पूरे वर्ष से चल रहा कोरोना महामारी का संकट आपातकाल की ही एक छोटी-सी झलक है । प्रत्यक्ष आपातकाल इससे अनेक गुना भयानक और अमानुषिक होगा, उसके विविध रूप होंगे । इसमें मानव-निर्मित तथा प्राकृतिक आपदाएं होंगी । इनमें से कुछ प्रसंगों की जानकारी हम इस लेखमाला में देखेंगे । इस आपातकाल में स्वयं का तथा परिवार का बचाव करने के लिए हम क्या कर सकते हैं, इसकी थोडी-बहुत जानकारी इस लेखमाला में देने का प्रयास किया गया है । पाठकों को इसका लाभ हो, यही इस लेखमाला को प्रकाशित करने का उद्देश्य है । आगे तीसरे विश्वयुद्ध के समय अणुबम के आक्रमणों को नकारा नहीं जा सकता । पिछले लेख में हमने अणुबम के विस्फोट का स्वरूप, मानव जीवन पर इसके होनेवाले दुष्परिणाम के संदर्भ में जानकारी प्राप्त की थी ।

८. परमाणु बम के विस्फोट के कारण विकिरण होने पर अपनी रक्षा के उपाय

८ अ. विकिरण की धूल शरीर पर गिरी हो तो शीघ्रातिशीघ्र पोंछकर हटाएं अथवा स्वच्छ स्नान करें : ‘फॉलआउट’ होने के बाद शरीर के कपडों पर विकिरण की धूल गिरी हुई हो सकती है । इन कपडों पर गिरी विकिरण की धूल कहीं गिरे नहीं अथवा फैले नहीं, इसका ध्यान रखकर कपडे उतारें । साथ ही कपडों से न ढकी हुई त्वचा विकिरण के संपर्क में न आए पानी से पोंछें / धोएं अथवा स्नान करें । यथाशीघ्र यह धूल हमारे शरीर से अलग हो उतना अच्छा है । तत्काल स्नान करना संभव न हो तो कागज से / गीले कपडे से शीघ्रातिशीघ्र धूल पोंछें और तदुपरांत स्नान करें । नाक स्वच्छ करें । घर में पालतू प्राणी हो तो उनकी भी ऐसी ही स्वच्छता करें ।

८ आ. विकिरण की धूल युक्त कपडे, चप्पल आदि वस्तुएं थैली में बंद करके रखें : शरीर से उतारे गए विकिरण की धूल युक्त कपडे, वस्तु, चप्पल आदि प्लास्टिक की थैली में बंद करके अलग से रखें और बाद में संबंधित अधिकारियों को विकिरण जांच के लिए दें । उनके द्वारा कपडे सुरक्षित प्रमाणित किए बिना उनका उपयोग न करें ।

८ इ. सावधानी से केश स्वच्छ धोएं : केश धोने के लिए ‘शैंपू’ लगा सकते हैं; परंतु ‘कंडीशनर’ न लगाएं; क्योंकि इससे विकिरण की धूल बालों को चिपककर रह सकती है ।

८ ई. सभी खाद्यपदार्थ ढककर रखें : खाद्यपदार्थ, पानी और अन्य उपयोगी वस्तुएं ढककर रखें । ढके हुए पदार्थ छोडकर अन्य पदार्थ न खाएं, साथ ही पालतू प्राणी को भी न खाने दें । खुले कुएं, तालाब का पानी, खुले स्थान के खाद्यपदार्थ, सब्जी, दूध इत्यादि का उपयोग न करें ।

८ उ. ‘पोटेशियम आयोडाइड’ की गोलियों का उपयोग करें : आपातकाल के लिए अपना एक ‘आपातकालीन बक्सा’ (इमरजेंसी किट) तैयार करके रखें । जिनके लिए संभव है, वे इसमें ‘पोटेशियम आयोडाइड’ गोलियां रखें । आपत्ति के समय वह कितनी मात्रा में लेते हैं, यह डॉक्टर से ठीक से समझ लें । इन गोलियों के कारण विकिरण का दुष्परिणाम अल्प होने में सहायता मिलेगी । विदेश में अणु भट्टी के निकट रहनेवाले लोगों को यह सदैव घर में रखने के लिए बताया जाता है ।

८ ऊ. परिवार और पालतू प्राणियों का ध्यान रखें : ‘अणुबम’ के विस्फोट के समय परिवार बिछड गए हों, तो वे जहां हैं वहीं रहें । तीव्र विकिरण का संकट टल जाने पर पुन: एकत्रित आ सकते हैं, यह ध्यान में रखें । घर में पालतू प्राणी हो, तो उन्हें घर में अथवा सीमित स्थान में बांधकर रखें ।

८ ए. प्रशासन से सूचना मिलने तक सीमित स्थान में रहे : ‘अणुबम’ विस्फोट के पहले २४ से ४८ घंटे (जब विकिरण की तीव्रता सर्वाधिक होती है) अथवा स्थानीय प्रशासकीय अधिकारी अन्य सूचना नहीं देते, तब तक सीमित स्थान में ही रहें । अधिकारियों द्वारा दी गई नवीनतम सूचनाओं का पालन करें ।

८ ऐ. सरकारी आदेशों का शत-प्रतिशत पालन करें : शासकीय अधिकारियों द्वारा भवन खाली करने के आदेश देने पर (खाली करने के लिए अधिकारियों ने सुझाया हो तो) आगे क्या करें ?, कहां जाएं ? कहां आश्रय मिलेगा ? इस संदर्भ में कार्यपद्धतियां क्या होंगी ? इत्यादि जानकारी ध्यान से सुनें । उस अनुसार सरकारी निर्देश के साथ ही निम्नांकित सूचनाओं का पालन करें ।

१. घर से अनावश्यक बाहर न जाएं ।

२. भवन खाली करने के बाद तब तक वापस न लौटें जब तक स्थानीय शासकीय अधिकारियों द्वारा घोषित न किया जाए कि ‘भवन में लौटना सुरक्षित है ।’

३. ‘अणुबम’ के विस्फोट से हुए उच्च दबाव तरंगों में पुराने भवन, वृक्ष आदि गिरने की संभावना ध्यान में रखकर उनसे दूर रहें; क्योंकि वे कभी भी गिर सकते हैं ।

८ ओ. आकाशवाणी, दूरदर्शन आदि द्वारा बीच-बीच में आपदा की जानकारी लेते रहें : अधिकृत जानकारी के लिए उपलब्ध किसी भी माध्यम से (रेडियो, दूरदर्शन आदि से) आवश्यक जानकारी प्राप्त करें । उदा. क्या बाहर निकलना सुरक्षित है ? अथवा हम कहां जाएं ?

     (संदर्भ : ndma.gov.in/images/pdf/pocketbook-do-dont.pdf)

९. हाइड्रोजन बम द्वारा होनेवाला आक्रमण

     यह ‘अणुबम’ की तुलना में १ सहस्र गुना अधिक विनाशकारी है । इसकी शक्ति आवश्यक मात्रा में बढा सकते हैं । इससे अधिकाधिक विनाश हो सकता है । जब यह बम फोडा जाता है, तब उसके साथ ‘अणुबम’ भी होता है । प्रथम ‘अणुबम’ फटता है और उसकी उष्णता से हाइड्रोजन के अणु एक-दूसरे से जुड जाते हैं । इसलिए इसे ‘फ्यूजन बम’ भी कहते हैं । ये अणु जुडकर एक पूर्ण बडा गोला बनता है और वह ‘हीलियम’ वायु में रूपांतरित होता है ।