युद्ध का संकट मंडरा रहा है, तो ऐसे में इसके लिए आपके जनपद और गांव की कितनी तैयारी है ?

कभी भी आनेवाले युद्ध के आपातकाल के संदर्भ में थोडी भी अनदेखी न करें । यह तो केवल देश के सीमावर्ती क्षेत्र की चिंता का विषय है, ऐसा मानकर असतर्क भी न रहें । सरकारी तंत्र के पास क्या उपलब्ध है ? इसमें भयावह वास्तविकता यह है कि असंख्य लोगों के मन में इसका अनुमान लगाने और उसकी तैयारी करने का विचार अभी भी नहीं जगा है ।

साधको, वैकल्पिक स्थान पर घर अथवा स्थान खरीदते अथवा किराए से लेते समय होनेवाली ठगी टालने के लिए सतर्क रहें !

आपातकाल की तैयारी की दृष्टि से वर्तमान में कुछ साधक वैकल्पिक स्थान पर घर अथवा स्थान खरीदने का प्रयत्न कर रहे हैं तथा कुछ साधक किराए से घर ले रहे हैं । कुछ साधक उनके अपरिचित स्थान पर घर अथवा स्थान खरीदते हैं, तब संपत्ति खरीदी की प्रक्रिया के कुछ लोग अत्यधिक मूल्य बताकर साधकों को ठग रहे हैं, ऐसा ध्यान में आया है ।

साधकों के लिए सूचना और पाठक, हितचिंतक और धर्मप्रेमियों से नम्र विनती !

वर्तमान में कोरोना महामारी के कारण अनेक प्रतिष्ठान बंद हो गए हैं तथा सर्वत्र बेरोजगारी बढी है । इस परिस्थिति का दुरुपयोग कर कुछ व्यक्ति सहस्रों-लाखों रुपयों की लॉटरी लगने अथवा मूल्यवान वस्तुआें के पारितोषिक मिलने के संदेश, ऑडियो मेसेज, लिंक सर्वत्र प्रसारित कर रहे हैं ।

शारदीय ऋतुचर्या – शरद ऋतु में नीरोगी रहने के लिए आयुर्वेदिक उपाय !

वर्षा ऋतु समाप्‍त होते ही सूर्य की प्रखर किरणें धरती पर पडने लगती हैं, तब शरद ऋतु प्रारंभ होती है । शरद ऋतु आरंभ होने पर अचानक उष्‍णता बढने से प्राकृतिक रूप से पित्तदोष बढता है तथा आंखें आना, फोडे होना, बवासीर की पीडा बढना, ज्‍वर आना आदि विकारों की शृंखला ही निर्माण होती है ।

ठंड के मौसम में होनेवाली बीमारियों के सरल उपचार

ठंड के मौसम में ऋतुचक्र के अनुसार ठंड और सूखापन बढता है । उसका उचित प्रतिकार न करने से विविध बीमारियां होती हैं । इनमें से अधिकतर बीमारियां ‘तेल का उचित उपयोग करने और सेंकने जैसे उपचारों से ठीक होती हैं ।

जोंक के सामने एलोपैथिक, होम्योपैथिक और आयुर्वेदीय औषधि की गोलियां रखने पर उसके द्वारा दिया प्रतिसाद और उसपर हुआ परिणाम

आयुर्वेद के देवता श्री धन्वन्तरी के चित्र में उनके दाहिने हाथ में जोंक दिखाई देती है । सामान्यत:आयुर्वेद में जोंक का उपयोग  शरीर में रक्त संबंधी व्याधि के निवारण हेतु किया जाता है । ३०.७.२०२० को गोवा में सनातन आश्रम के मुख्य प्रवेशद्वार के निकट एक जोंक दिखाई दी । वह सात्त्विक वस्तुआें की ओर आकृष्ट हो रही थी ।

गैस अथवा बिजली का उपयोग कर पकाए गए अन्न की अपेक्षा मिट्टी के चूल्हे पर पकाए अन्न से बडी मात्रा में सकारात्मक स्पंदन प्रक्षेपित होना !

कुछ वर्ष पहले सर्वप्रथम गोबर से भूमि लीपकर, चूल्हे का पूजन कर अग्नि में चावल की आहुति देने के उपरांत ही अन्न पकाने की प्रक्रिया आरंभ की जाती थी । उसके कारण इस अन्न की ओर देवताआें के स्पंदन आकर्षित होते थे । ऐसा अन्न ग्रहण करनेवाले जीवों को उसमें समाहित शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्तरों पर भी लाभ मिलता था ।

तीव्र शारीरिक कष्ट से पीडित होते हुए भी अंतिम श्वास तक गुरुकार्य की तीव्र लगन रखनेवाले ६७ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर के मथुरा के स्व. विनय वर्मा !

विनय भैया जब आश्रम में थे, तब उन्होंने सभी साधकों से निकटता बना ली थी । साधकों की चर्चा में कभी भी विनय भैया का विषय हो, तो साधक उनके स्मरण से आनंदित होते थे ।भैया को तीव्र शारीरिक कष्ट होते समय तथा अत्यधिक वेदना होते हुए भी वे कभी उस संबंध में नहीं बताते थे ।

जमशेदपुर के सनातन प्रभात के पाठक डॉ. हरिबल्लभ सिंह आरसी जी की कविता

डॉ. हरिबल्लभ सिंह आरसी जी श्री कृष्ण संस्थान के संस्थापक सदस्य हैं । इसके साथ ही वे एक सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. हरिबल्लभ सिंह आरसी जी ने वर्तमान काल के संदर्भ में निम्नलिखित कविता लिखी है ।

महिलाआें के लिए धर्माचरण करने के साथ ही स्वरक्षा प्रशिक्षण आवश्यक ! – श्रीमती प्राची जुवेकर, सनातन संस्था

वाराणसी (उत्तर प्रदेश) – कानपुर मे केवल २१ दिन में ११ लव जिहाद की घटनाएं हुईं । इस स्थिति का गंभीरता से विचार करके महिलाओं को संघर्ष करने की स्वयं की मानसिकता बनानी चाहिए । इसके साथ ही कुमकुम लगाना, अलंकार पहनना, कुलाचार का पालन करना आदि धर्माचरण नित्य कृति में लाएं, तथा स्वरक्षा प्रशिक्षण लें ।