जन्मतः साधना की समझ, प्रगल्भ बुद्धिमत्ता एवं ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त कतरास (झारखंड) का चि. श्रीहरि खेमका (आयु ६ वर्ष) !
चूकों के प्रति संवेदनशील, चूकों के प्रति सतर्क रहकर कृति करनेवाला और चूक होने पर प्रायश्चित लेनेवाला चि. श्रीहरि
चूकों के प्रति संवेदनशील, चूकों के प्रति सतर्क रहकर कृति करनेवाला और चूक होने पर प्रायश्चित लेनेवाला चि. श्रीहरि
बिजली के दीप से युक्त दीप तथा मोम के दीप का उपयोग टालकर तिल के तेल तथा हाथ से बनाई गई रुई की बाती डालकर मिट्टी के दीप प्रज्वलित करना आध्यात्मिक दृष्टि से लाभकारी है ।
विवाहित स्त्रियां इस दिन अपने पति की दीर्घ आयु एवं स्वास्थ्य की मंगलकामना कर भगवान रजनीनाथ को (चंद्रमा) अर्घ्य अर्पित कर व्रत का समापन करती हैं ।
शरद ऋतु के आश्विन मास की पूर्णिमा तथा यह अमावस्या भी कल्याणकारी है । लक्ष्मीपूजन के दिन प्रातःकाल मंगलस्नान कर देवतापूजन, दोपहर में पार्वणश्राद्ध एवं ब्राह्मण-भोजन और संध्याकाल में (प्रदोषकाल में) फूल-पत्तों से सुशोभित मंडप में लक्ष्मी, श्रीविष्णु एवं कुबेर की पूजा की जाती है ।
नवरात्रि की सप्तमी तिथि को श्री दुर्गादेवी के असुर, भूत-प्रेत इत्यादि का नाश करनेवाले ‘कालरात्रि’ रूप की पूजा की जाती है।
श्री दुर्गादेवी नवरात्रि के नौ दिनों में संसार का तमोगुण घटाती हैं और सत्त्वगुण बढाती हैं ।
उपवास करने से व्यक्ति का रजोगुण तथा तमोगुण घटता है तथा देह की सात्त्विकता बढती है । ऐसा सात्त्विक देह वातावरण से शक्तितत्त्व को अधिक ग्रहण करने के लिए सक्षम बनता है ।
किसी भी देवता के विषय में अध्यात्मशास्त्रीय जानकारी ज्ञात होने पर उनके विषय में श्रद्धा वृद्धिंगत होने में सहायता होती है । यही बात ध्यान में रखकर नवरात्रि के निमित्त शक्तिपूजकों के लिए एवं शक्ति की सांप्रदायिक साधना करनेवालों के लिए इस लेख में देवी के विषय में अध्यात्मशास्त्रीय जानकारी दे रहे है ।
इस दिन राजा, सामन्त एवं सरदार, अपने शस्त्रों-उपकरणों को स्वच्छ कर एवं पंक्ति में रखकर उनकी पूजा करते हैं । उसी प्रकार किसान एवं कारीगर अपने (कृषि हेतु उपयुक्त) उपकरणों एवं शस्त्रों की पूजा करते हैं । लेखनी व पुस्तक, विद्यार्थियों के शस्त्र ही हैं, इसलिए विद्यार्थी उनका पूजन करते हैं ।
कोजागरी पूर्णिमा की रात को लक्ष्मी तथा इंद्र की पूजा की जाती है । कोजागरी पूर्णिमा की कथा इस प्रकार है कि बीच रात्रि में लक्ष्मी पृथ्वी पर आकर जो जागृत है, उसे धन, अनाज तथा समृद्धि प्रदान करती है ।