America Chabahar Port : (और इनकी सुनिए…) ‘भारत के ईरान के साथ व्यापार बढाने पर उसे करना पडेगा प्रतिबंधों के संकट का सामना !’

भारत-ईरान के बीच हुए ‘चाबहार बंदरगाह समझौते’ पर अमेरिका को आपत्ति !

वॉशिंग्टन (अमेरिका) – भारत और ईरान के बीच हुए ‘चाबहार बंदर गाह समझौते’ पर अमेरिका ने आपत्ति जताई है । ईरान के साथ के व्यापार के कारण भारत को प्रतिबंधों के संकट का सामना करना पडेगा, ऐसा अमेरिका के विदेश विभाग के उप प्रवक्ता वेदांत पेटल ने कहा । पटेल ने आगे कहा कि विदेश नीतियां और अन्य देशों के साथ के संबंधों के बारे में भारत अपना निर्णय ले सकता है; परंतु ईरान जिस देश से व्यापार करता हो, वह कोई भी हो, उसे प्रतिबंधों के संकट का सामना करना पडेगा ।

अमेरिका ने ईरान पर लगभग सभी व्यापारी प्रतिबंध लगाए हैं । साथही अमेरिका के मित्र देशों ने भी ईरान की सहायता करना और उसे शस्त्रास्त्र बेचना बंद किया है । ईरान का परमाणु कार्यक्रम, मानवाधिकारों का उल्लंघन और आतंकवादी संगठनों का समर्थन इसलिए अमेरिका ने ये प्रतिबंध लगाए हैं ।

भारत और ईरान के बीच का चाबहार बंदरगाह समझौता !

भारत और ईरान ने वर्ष २०१८ में चाबहार बंदरगाह के निर्माण के लिए एक समझौता किया था । भारत को १३ मई को ईरान के चाबहार का ‘शाहिद बेहेश्ती बंदरगाह’ १० वर्षो के लिए किराए पर मिलने का समझौता हुआ है । इस समझौते पर हस्ताक्षर करने हेतु केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ईरान गए थे । भारत और ईरान दो दशकों से इस बंदरगाह पर काम कर रहे हैं । अब इस बंदरगाह का पूरा व्यवस्थापन भारत के पास होगा ।

 समझौते से इस प्रकार होगा भारत का लाभ !

१. चाबहार बंदरगाह के माध्यम से भारत अफगानिस्तान तथा मध्य एशियाई देश और रूस तक सीधा पहुंच पाएगा ।

२. इसके पहले भारत पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह के मार्ग से व्यापार कर सकता था; परंतु पाकिस्तान के साथ के उसके संबंध समाप्त हो जानेपर भारत इस क्षेत्र में वैकल्पिक मार्ग खोज रहा था । चाबहार समझौते से अब भारत की यह समस्या हल होनेवाली है ।

३. भारतीय प्रतिष्ठान ‘इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड’ चाबहार बंदरगाह पर १२ करोड डालर (१ सहस्र करोड भारतीय रुपए) का निवेश करनेवाला है और उसे २५ करोड डालर की (२ सहस्र ८७ करोड भारतीय रुपयों की) आर्थिक सहायता मिलनेवाली है । अथार्त कुल मिलाकर लगभग ३७ करोड डालर का यह समझौता होनेवाला है ।

४. भारत पीछले कुछ वर्षो से अंतरराष्ट्रीय व्यापार बढानेपर बल दे रहा है । इसमें ‘चाबहार बंदरगाह’ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा । इसके माध्यम से भारत ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अझरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप से सीधा व्यापार कर पाएगा ।

५. इन देशों की प्राकृतिक वायु और तेल भी इस बंदरगाह से भारत भविष्य में आयात कर पाएगा ।

६. भू-राजनैतिक दृष्टि से भी इस बंदरगाह का विकास होने से भारत अरब सागर में चीन की गतिविधियों पर ध्यान दे पाएगा । साथही चीन पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को विकसित करने के लिए प्रयासरत है । भारत की चाबहार बंदरगाह पर की उपस्थिति उसे ग्वादर बंदरगाह पर हो रही चीन और पाकिस्तान की गतिविधियां समझने में सहायक होनेवाली है । दोनों बंदरगाहों में केवल ७० किमी की दूरी है ।

७. चाबहार का उपयोग पीछले वर्ष भारत ने अफगानिस्तान को २० सहस्र टन गेंहू सहायता के रूप में भेजने के लिए किया था । वर्ष २०२१ में ईरान को जल-वायु के लिए अनुकूल कीटनाशक भेजने के लिए भी इसका उपयोग किया गया था ।

संपादकीय भूमिका 

  • यह अमेरिका की दादागिरी ही है । पहले रूस और अब ईरान के साथ व्यापार बढाना, यह भारत का व्यक्तिगत मामला है । इसमें टांग अडाने का अमेरिका को कोई अधिकार नहीं !
  • भारत जैसी सब से गतिमान अर्थव्यवस्था को देखते हुए अमेरिका भारत पर प्रतिबंध लगा ही नहीं सकता ! यदि ऐसा उसने किया, तो वह उसके लिए आत्मघात होगा !
  • भारत को भी अब शत्रु देश पाकिस्तान से संबंध रखनेवाले देशों पर प्रतिबंध लगाने की बात घोषित करनी चाहिए !
  • यदि अमेरिका अपने हित की ओर देखकर भारत को चेतावनी दे सकता है, तो भारत को भी अमेरिका से वहां के खलिस्तानवादियों की हत्या करने की अथवा भारत के स्वाधीन करने की मांग करनी चाहिए । वहां के भारतीय छात्रों की सुरक्षा की निश्चिती देनी चाहिए । इसी के साथ अमेरिका को पडोस के कनाडा से भी वैसे कृत्य करवाने होंगे, अन्यथा कनाडा से सभी व्यापारी समझौतों को तोड देना चाहिए ! सत्य यही है कि भारत के विदेश मंत्रालया द्वारा ऐसी कठोर भूमिका ली जाने पर ही धूर्त अमेरिका सीधा हो जाएगा !