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नई देहली – अनेक प्रसारमाध्यमों ने दावा किया था कि ‘भारतीय खाद्य नियंत्रक’, यह औषधि वनस्पति और मसालों में निर्धारित मानकों की अपेक्षा १० गुना अधिक कीटनाशक प्रयोग करने की अनुमति देता है ।
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने इन सभी समाचारों को बिन पेंदी का कहते हुए इसका खंडन किया है । इस पर प्राधिकरण ने एक पत्रक प्रकाशित करते हुए कहा कि ऐसे सभी समाचार निराधार और झूठे हैं ।
पत्रक में आगे कहा है कि,
१. भारत में ‘अधिकतम अवशेष स्तर’ (मैक्सिमम रेसिड्यू लेवल) यह विश्व के सबसे अधिक कठोर मानकों में से एक है । कीटनाशकों के लिए यह ऐसा स्तर होकर अलग-अलग खाद्यसामग्री के लिए इसे स्वतंत्र रूप से निर्धारित किया जाता है ।
२. तथापि हम मान्य करते हैं कि कुछ कीटनाशकों का स्तर १० गुना बढाया गया था । यह कीटनाशक भारत के केंद्रीय कीटनाशक मंडल और पंजीकरण समिति में पंजीकृत नहीं हैं । उनके लिए यह मर्यादा ०.०१ मिलीग्राम/किलो से ०.१ मिलीग्राम/किलो तक १० गुना बढाई गई । यह भी वैज्ञानिक समूहों की सिफारिश के अनुसार ही किया गया ।
३. भारत में केंद्रीय कीटनाशक मंडल और पंजीकरण समिति के पास २९५ से अधिक कीटनाशक पंजीकृत हैं । इनमें से १३९ कीटनाशकों का प्रयोग मसालों में किया जाता है ।
४. मिर्ची पाउडर में मिलाए जानेवाले ‘मायकोब्युटॅनिल’ इस कीटनाशक के लिए ‘कोडेक्स’ मानक स्थापित करने वाले वैश्विक संस्था ने २० मिलीग्राम/किलो की अधिकतम मर्यादा रखी है, तो हम इसे केवल २ मिलीग्राम/किलो तक मिलाने की अनुमति देते हैं ।
५. इसका एक अन्य उदाहरण देते हुए प्राधिकरण ने ‘स्पायरोमेसिफेन’ का मानक सामने रखा । ‘कोडेक्स’ ने ५ मिलीग्राम/किलो की मर्यादा तय की होगी, तो भी हम ५ गुना अल्प अर्थात केवल १ मिलीग्राम/किलो तक की अनुमति देते हैं ।
संपादकीय भूमिकाभारतीय मसालों और खाद्यपदार्थों पर आरोप करने वाली विदेशी कंपनियों से अब वैज्ञानिक साक्ष्य मांगने चाहिए, अन्यथा उन्हें भारत से क्षमा मांगने के लिए बाध्य करना चाहिए ! |