पानी के प्लास्टिक के बोतलों की स्वच्छता, उससे होनेवाली हानि तथा बीमारियां

आजकल धूप का मौसम चल रहा है । हम कहीं भी जाते हैं, तब हम अपने साथ पानी की बोतल रखते हैं । लोग पुनः-पुनः उपयोग की जानेवाली बोतलों को सुरक्षित मानते हैं, उसके कारण वे उससे पानी पीते हैं तथा प्रतिदिन उन्हें स्वच्छ भी नहीं करते । इससे बोतल के अंदर जीवाणु (बैक्टेरिया) बढते हैं । ऐसा पानी पीने से हम बीमार पड जाते हैं । अमेरिका के ‘वॉटरफिल्टरगुरु डॉट कॉम’ के शोध से यह स्पष्ट हुआ है कि बार-बार उपयोग की जानेवाली पानी की बोतल में शौचालय में स्थित आसन की अपेक्षा (‘टॉयलेट सीट’ की अपेक्षा) ४० सहस्र गुना अधिक जीवाणु हो सकते हैं । जो लोग एक-दो बार पानी की बोतल स्वच्छ कर उसका पानी उपयोग करते हैं तथा जिन्हें ऐसा लगता है कि ‘यह बोतल स्वच्छ है’; वे इस लेख में दिए गए सूत्र अवश्य पढें ।

स्वच्छ पिनेका पानी (प्रतिकात्मक छायाचित्र)

१. बोतल में बरतन मांजने की सिंक की अपेक्षा दोगुने जीवाणु होना

अमेरिका स्थित ‘वॉटरफिल्टरगुरु डॉट कॉम’ के शोधकर्ताओं के दल ने पुनः उपयोग के बोतलों की स्वच्छता का परीक्षण किया । उन्होंने बोतल के सभी भागों की, अर्थात ही उसके ऊपरी भाग, ढक्कन तथा मुख की ३ बार पडताल की । उनके परीक्षण में बोतल पर २ प्रकार के जीवाणु दिखाई दिए, जिसमें ‘ग्रैम-नकारात्मक जीवाणु’ (बैक्टेरिया) तथा ‘बैसिलस बैक्टेरिया (सूक्ष्म जीवाणु) का समावेश है ।

ग्रैम-नकारात्मक जीवाणु विभिन्न प्रकार के संक्रमण का कारण बनते हैं, जबकि ‘बैसिलस  बैक्टेरिया’ के कारण ‘गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल’ के कारण (जठर एवं आंत्र से संबंधित) समस्याएं हो सकती हैं । इस शोध में बोतल की तुलना रसोईघर के अन्य वस्तुओं से की गई, जिसमें यह दिखाई दिया कि बोतल में बरतन मांजने की सिंक की अपेक्षा दोगुने जीवाणु होते हैं ।

२. क्या पानी की बोतल को प्रतिदिन स्वच्छ करना चाहिए ?

घर में हम जिस प्रकार अन्य बरतनों का उपयोग करते हैं, उसी प्रकार बोतल का उपयोग करना चाहिए । धूप के मौसम में जीवाणु बढने की संभावना होती है; परंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि जीवाणु केवल धूप के मौसम में ही बढते हैं । चाहे हम किसी भी मौसम में पानी की बोतल का उपयोग करते हों, उसे स्वच्छ करना ही चाहिए । संभव हो, तो बोतल को कुछ समय तक धूप में सूखने के लिए रखें, उससे बोतल से आनेवाली गंध नष्ट होती है तथा उसमें उत्पन्न जीवाणु नष्ट होते हैं । अमेरिका में किए गए इस शोध में यह भी सूझाया गया है कि पानी की बोतल को दिन में एक बार साबुन से अथवा सप्ताह में न्यूनतम एक बार तो स्वच्छ करना आवश्यक है ।

३. पानी का संग्रह किस बोतल में करना चाहिए ?

पानी के बोतलों के विषय में किए गए शोध में यह दिखाई दिया है कि कांच की बोतलें अधिक सुरक्षित हैं; परंतु उन्हें अपने पास रखना इतना सरल नहीं है । इसलिए बोतल ऐसी लें, जिसमें पानी पीने के लिए अलग से गिलास हो अथवा जिसका मुख न हो ।

४. पानी की बोतल में स्थित जीवाणु का प्रभाव संकटकारी पानी की बोतल में स्थित जीवाणु का प्रभाव संकटकारक है ।

अ. जो लोक प्रतिजैविक ले रहे हैं, उन पर औषधि का परिणाम नहीं होगा ।

आ. उदरशूल, पित्त (एसिडिटी) एवं दस्त हो सकते हैं ।

इ. रक्तचाप ऊपर अथवा नीचे हो सकता है ।

ई. हृदयरोग की संभावना बढती है ।

उ. मिचली एवं उल्टी जैसी समस्याएं हो सकती हैं ।

ऊ. छोटी बच्चियों में संप्रेरकों के (‘हार्माेन्स’ के) अकाल परिवर्तन आ सकते हैं ।

ए. बार-बार मूत्रमार्ग में संक्रमण होने की संभावना होती है ।

५. क्या फ्रिज में रखी बोतल में भी जीवाणु होते हैं ?

अधिकतर लोग फ्रिज में पानी रखने हेतु प्लास्टिक की बोतलों का उपयोग करते हैं, जिनमें अधिक जीवाणु हो सकते हैं तथा जो आपको बीमार बना सकते हैं । इसलिए सस्ती प्लास्टिक की बोतलों का उपयोग न करें । प्रति २-३ दिन उपरांत उच्च गुणवत्तावाली बोतल स्वच्छ की है, इसकी आश्वस्तता करें ।

६. क्या बाजार में उपलब्ध बोतलबंद पानी में जीवाणु नहीं होते ?

जीवाणु तो होते हैं; परंतु वे प्लास्टिक की बोतलों से आए होते हैं । ‘लाइव साईंस’ के ब्योरे के अनुसार पानी कभी खराब नहीं होता । इस पर कोई यह कह सकता है कि बाजार में मिलनेवाली बोतल पर ‘एक्स्पाइरी डेट’ (समयसीमा समाप्त होने की तिथि) लिखी जाती है, तो ऐसा क्यों ?’ वास्तव में बोतल पर लिखी गई तिथि प्लास्टिक की होती है । विशिष्ट समय उपरांत प्लास्टिक पानी में घुलने लगता है । उसके कारण पानी के स्वाद में परिवर्तन आकर पानी पीनेवाले को हानि पहुंचती है । बाजार में उपलब्ध बोतलबंद पानी की बोतल का उपयोग एक ही बार करना होता है; परंतु हम इन बोतलों का पुनः-पुनः उपयोग कर बीमार पड जाते हैं ।

७. पानी की कौनसी बोतल पीने के पानी के लिए अच्छी है ?

स्टील की बोतल

‘बीपीए’ (बिस्फेनॉल ए) मुक्त अथवा कांच की अथवा स्टील की बोतल का उपयोग करना अधिक अच्छा होता है ।

८. विद्यालय जानेवाले बच्चों को पानी की कौनसी बोतल देनी चाहिए ?

बच्चों को विद्यालय ले जाने हेतु स्टील अथवा अच्छी प्लास्टिक की बोतलें दें, जिन्हें प्रतिदिन स्वच्छ करना आवश्यक है; क्योंकि बच्चे बोतल को मुंह लगाकर पानी पीते हैं । उन्हें शीघ्र स्वच्छ न किए जाने से बोतल पर लगी लार हवा के संपर्क में आकर वहां अनेक जीवाणु आते हैं ।

९. पानी की बोतलों में जीवाणु कैसे बढते हैं ?

‘ई-कोलाई’ जैसे सभी जीवाणु विभिन्न कारणों से पानी की बोतलों में बढते हैं, जैसे कि –

अ. खाने के उपरांत झूठे हाथों से बोतल को स्पर्श करना

आ. बोतल को मुंह लगाकर पानी पीने से उसे लार लगती है ।

इ. खांसी तथा सर्दी लगने पर उन्हीं हाथों से बोतल पकडना

ई. जब बोतल लंबे समय से पानी से भरी होती है, तब –

उ. स्वच्छता करते समय गंदे हाथों से बोतल पकडकर पानी पीना

इसके कारण नए ‘टूथब्रश’ अथवा ‘ब्रश’ से पानी की बोतल को संपूर्ण रूप से स्वच्छ करना आवश्यक है ।

– डॉ. साइमन क्लार्क, सूक्ष्मजीव वैज्ञानिक, अमेरिका एवं डॉ. बाळकृष्ण, प्राथमिक चिकित्सा केंद्र, भोपाल, मध्य प्रदेश.

(साभार : दैनिक ‘दिव्य मराठी’)


प्लास्टिक की बोतलों का पानी पीना सुरक्षित क्यों नहीं है ?

प्लास्टिक की बोतल

‘नेशनल इंस्टिट्यूट ऑन एंवायर्नमेंटल हेल्थ साईंसेस’ के मत के अनुसार प्लास्टिक की बोतलों को बनाने में ‘बीपीए’ (बिस्फेनॉल ए) नामक रसायन का उपयोग किया जाता है । इस रसायन का आविष्कार वर्ष १८९० में हुआ; परंतु १९५० के दशक में यह ध्यान में आया कि इस रसायन का उपयोग मजबूत एवं लचिले ‘पॉलीकार्बोनेट प्लास्टिक’ बनाने हेतु किया जा सकता है । इसके उपयोग के दुष्परिणाम सामने आने के उपरांत उत्पादकों ने ‘बीपीए’ मुक्त उत्पाद बनाना आरंभ किया ।

प्लास्टिक के बोतलों से होनेवाली हानि

प्लास्टिक की बोतलों के कारण रक्तचाप, ‘टाइप-२ मधुमेह’ तथा हृदयविकार का झटका आने का संकट बढता है । ये बोतलें पुरुषों के शुक्राणों की गुणवत्ता दूषित करती हैं । हॉर्माेन के कारण महिलाओं में असंतुलन उत्पन्न होता है ।

(साभार : दैनिक ‘दिव्य मराठी’)