साधकों के लिए सूचना !
‘एक राज्य के एक शहर में एक साधिका के घर घरेलू गैस पाइप का काम करने के लिए एक व्यक्ति आया था । उस व्यक्ति ने अपना काम करते हुए साधिका से होशियारी से संवाद करते हुए अनेक प्रश्न पूछे । इसके द्वारा संबंधित साधिका की सिलसिलेवार जानकारी ली गई । ‘साधिका का ससुराल कहां है ? सास-ससुर कहां रहते हैं ? पति कहां रहते हैं ? वे क्या करते हैं ? मायका कहां है ? वहां कौन रहते हैं ?’ उस व्यक्ति ने यह जानकारी ली । उस समय बोलने के प्रवाह में साधिका ने भी अपनी व्यक्तिगत जानकारी इस अनजान व्यक्ति को खुलकर बताई । इस प्रसंग में उस साधिका ने संभाव्य परिणामों का गंभीरता से विचार नहीं किया एवं सावधानी नहीं बरती ।
उपरोक्त प्रसंग की गंभीरता ध्यान में लेकर साधकों को अपनी व्यक्तिगत जानकारी किसी भी व्यक्ति को देने से पूर्व निम्नांकित सूत्रों के विषय में अत्यंत सावधानी बरतनी चाहिए ।
१. किसी भी कारणवश अपने संपर्क में आए अनजान व्यक्ति को किसी भी प्रकार की व्यक्तिगत जानकारी देना टालें ।
२. हमारे द्वारा दी गई व्यक्तिगत जानकारी का अनुचित उपयोग होने से हमारे साथ परिजनों के प्राण भी संकट में पड सकते हैं । वर्तमान में समाज में इस प्रकार की घटनाएं हुई हैं ।
३. कुछ साधकों के परिजन अध्यात्मप्रसार की सेवा के लिए बाहर जाते हैं अथवा कुछ साधकों के परिजन सनातन के सेवाकेंद्रों में सेवा करने जाते हैं । कुछ साधिकाएं घर रहकर सेवा करती हैं । इस कारण इस प्रकार की जानकारी देने से अनजान व्यक्ति के द्वारा हमारी धन-संपत्ति को भी क्षति पहुंच सकती है ।
किसी को अपनी व्यक्तिगत जानकारी देकर हम अपनी सुरक्षा संकट में डाल देते हैं । कोई व्यक्तिगत पूछताछ करे, तो उसके परिणाम पहचानें एवं सावधान रहकर जानकारी न दें ।
– श्री. वीरेंद्र मराठे, व्यवस्थापकीय न्यासी, सनातन संस्था. (६.३.२०२४)