India Against ISLAMOPHOBIA In UN : एक ही धर्म के लिए नहीं; अपितु सभी धर्माें के बारे में अब यह बताने का समय आ गया है !

संयुक्त राष्ट्रों में ‘इस्लामफोबिया’ के (इस्लाम संबंधी द्वेष के) संदर्भ में पाकिस्तान द्वारा पारित प्रस्ताव पर भारत ने सुनाई !

संयुक्त राष्ट्रों की सदस्या और भारत की प्रतिनिधी रूचिरा कंबोज

न्यूयॉर्क (अमेरिका) – ‘इस्लामोफोबिया’ का सूत्र निःसंदेह महत्त्वपूर्ण है; परंतु अन्य धर्माें को भी भेदभाव और हिंसाचार का सामना करना पडता है, यह हमें स्वीकार करना चाहिए । अन्य धर्माें के सामने विद्यमान चुनौतियों की उपेक्षा कर केवल ‘इस्लामोफोबिया’ का सामना करने हेतु उपलब्ध साधनों का बंटवारा करने से असमानता की भावना सदैव बनी रहती है, ऐसे शब्दों में भारत ने संयुक्त राष्ट्रों में पाकिस्तान ने प्रस्तुत किए ‘इस्लामोफोबिया से लडने के लिए उपाय’, इस प्रस्ताव पर पाकिस्तान को सुनाई । ११५ देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, इसलिए उसका स्वीकार किया गया । इसका किसी ने विरोध नहीं किया; परंतु भारत, ब्राजिल, फ्रान्स, जर्मनी, इटली, युक्रेन, ब्रिटेन सहित ४४ देश मतदान में सहभागी नहीं हुए ।

गुरुद्वारा, मठ और मंदिरों जैसे धार्मिक स्थलों पर हो रहे है, बढते हुए आक्रमण !

संयुक्त राष्ट्रों की सदस्या और भारत की प्रतिनिधी रूचिरा कंबोज ने कहा कि १२० करोड से भी अधिक अनुयायी जिसके हैं, ऐसा हिन्दू धर्म, ५३ करोड से भी अधिक अनुयायियों का बौद्ध धर्म और संसार में ३ करोड से भी अधिक अनुयायी हैं, ऐसा सिख धर्म, सभी धर्मांधता की बली चढ रहे हैं । यह समझ लेना अत्यंत आवश्यक है । केवल एक धर्म की अपेक्षा सभी धर्माें के बारे में अब बोलने का समय आ गया है । अब्राहमिक (एकेश्वरवादी) धर्माें के अनुयायी भी अनेक दशकों से धार्मिक भय से त्रस्त हैं, ऐसा सप्रमाण दिखाई दे रहा है । इसलिए धार्मिक भय के समकालीन प्रकारों में, विशेष कर हिन्दू विरोधी, बौद्ध विरोधी और सिख विरोधी भावनाएं उत्पन्न हुई हैं । धार्मिक भय के ये समकालीन प्रकार गुरुद्वारा, मठ और मंदिरों जैसे धार्मिक स्थलों पर बढ रहे आक्रमणों से स्पष्ट होते हैं ।’

श्रीराममंदिर और सीएए कानून का उल्लेख किया, इसलिए भी भारत ने पाकिस्तान को सुनाई !

पाकिस्तान के संयुक्त राष्ट्रों के राजदूत मुनीर अक्रम ने अयोध्या के श्रीराममंदिर के उद्घाटन समारोह का तथा नागरिकता सुधार कानून के (सीएए के) कार्यान्वयन का भी उल्लेख किया । इसपर आपत्ति उठाते हुए कंबोज ने कहा कि मेरे देश से संबंधित विषयों पर पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल का सीमित और अनुचित दृष्टिकोन वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है । प्रतिनिधिमंडल और उनके द्वारा की टिप्पणियों के बारे में केवल एक ही सत्य है कि यह सब असत्य है । पूरा संसार प्रगति कर रहा है और पाकिस्तान केवल एक ही सूत्र पर अटका हुआ है ।

संपादकीय भूमिका

संसार में इस्लाम का अनुकरण करनेवाले ही ‘जिहादी आतंकवाद’ कर रहे हैं, यह सार्वजनिक सत्य है । इसलिए संसार में इस्लाम और मुसलमानों के प्रति आक्रोश बढ रहा है । ऐसा होते हुए भी संसार के इस्लामी देश, उनके संगठन अथवा मुसलमान आगे आकर उसका विरोध क्यों नहीं करते ?