आंध्र प्रदेश, केरल और तमिलनाडु राज्यों के समुद्र तटों पर था चीनी जहाजों का लक्ष्य !
बीजिंग/नई देहली – भारत की स्वदेश में विकसित ‘मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल’ तकनीक द्वारा विकसित ‘अग्नि-५’ का ११ मार्च को सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। यह परीक्षण, जो ओडिशा के तट पर हुआ था,इस पर एक चीनी जासूसी जहाज की दृष्टि थी । भारत ने कुछ दिन पूर्व ही परीक्षण के लिए समीपस्त देशों को चेतावनी प्रसारित की थी। इसे ‘नोटम’ कहा जाता है जिसका अर्थ है ‘नोटिस टू एयर मिशन’।
जिसने बीजिंग को भारतीय तट से कुछ दूरी पर अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में एक अनुसंधान पोत तैनात करने के लिए प्रेरित किया। इसका नाम ‘जियांग यांग होंग-०१ ‘ है और यह २३ फरवरी को चीन के तट से निकला था। परीक्षण से एक दिन पहले १० मार्च को यह बंगाल की खाडी में पहुंचा। चीनी जहाज वर्तमान में विशाखापत्तनम के तट से केवल ४८० किमी दूर है। इसके अतिरिक्त चीन का एक और जहाज मालदीव में तैनात है। चीन पहले भी भारत के क्षेपणास्त्र परीक्षणों की जासूसी करने के लिए जहाज भेज चुका है।
मालदीव और श्रीलंका के बंदरगाहों पर चीनी जहाजों के आने से आंध्र प्रदेश, केरल और तमिलनाडु राज्यों के कई तट, उनके प्रभाव क्षेत्र में आते हैं। चीन के जासूसी जहाज ‘हाई-टेक जासूसी उपकरण’ से युक्त हैं। इसका अर्थ यह है कि वे आस-पास के देशों के बंदरगाहों पर लंगर डाल कर भारत के आंतरिक क्षेत्रों तक की जानकारी एकत्र कर सकते हैं।
भारत की ‘अग्नि-५’ क्षेपणास्त्र की विशेषताएं !१. एक ही समय में कई लक्ष्यों को भेदने की क्षमता! २. इस क्षेपणास्त्र की मार में पूरा चीन और आधा यूरोप! ३. मारक क्षमता ५ सहस्त्र किलोमीटर! ४. डेढ टन भार के परमाणु शस्त्र ले जाने की क्षमता! ५. गति: ‘मैक २४ ‘, अर्थात ध्वनि की गति से २४ गुना से ६. अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन समेत |
संपादकीय भूमिकाचालबाज चीन पर तीक्ष्ण दृष्टि रखने के लिए अब भारत को भी उसे घेरना होगा। इसके लिए भारत को चीन के पडोसियों वियतनाम, फिलीपींस, जापान, दक्षिण कोरिया के साथ रूस से भी रणनीतिक संबंध दृढ करने होंगे! |