सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार
![](https://static.sanatanprabhat.org/wp-content/uploads/sites/4/2022/06/12103335/jeevandarshan_4_ppdr_C-1.jpg)
‘पश्चिमी संस्कृति शिक्षा को प्रोत्साहित करनेवाली व्यक्तिगत स्वतंत्रता का समर्थन करती है और दुख को निमंत्रण देती है, जबकि हिन्दू संस्कृति स्वेच्छा नष्ट कर सत-चित-आनंद अवस्था कैसे प्राप्त करें, यह सिखाती है ।’
✍️ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ʻसनातन प्रभातʼ नियतकालिक