’ईंधन सेल’ तकनीक का अंतरिक्ष के ’PSLV-C58’ में हुआ सफल परीक्षण !
बेंगलुरु (कर्नाटक) – हाल ही में 1 जनवरी को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने PSLV-C58 का अंतरिक्ष में प्रक्षेपण किया । अपने परीक्षणों में इसरो बिना किसी प्रदूषण के ऊर्जा उत्पन्न करने में सक्षम रहा । इसे ’फ्यूल सेल’ तकनीक कहा गया है । विशेष बात यह है कि ऊर्जा निर्माण करने की इस प्रक्रिया से शुद्ध पेयजल भी तैयार किया जाता है । इसका उपयोग अंतरिक्ष में जाने वाले मनुष्य को होगा । यह इसरो की बड़ी सफलता है । इसका लाभ मानव के साथ साथ अंतरिक्ष अभियान ‘गगनयान’ कार्यक्रम के लिए भारत को होनेवाला है ।
POEM-3 on PSLV-C58:
VSSC/ISRO successfully tests a 100 W class Polymer Electrolyte Membrane Fuel Cell on PSLV-C58’s orbital platform, POEM3.https://t.co/f5SGqh1ZUR
Powering missions with efficiency and emitting only water, these fuel cells are the future for power production in… pic.twitter.com/lCbsZF9UIB— ISRO (@isro) January 5, 2024
इसरो ने अंतरिक्ष में 100 वॉट रेंज की ’पॉलीमर इलेक्ट्रोलाइट मेम्ब्रेन फ्यूल सेल’ तकनीक पर आधारित ’पावर सिस्टम’ (ऊर्जा प्रणाली) का सफल परीक्षण किया । इस परीक्षण के समय एक उच्च दबाव वाले बर्तन में ‘हाइड्रोजन’ तथा ‘ऑक्सीजन’ गैसों की सहायता से 180 वाट ऊर्जा उत्पन्न की गई । इससे पीने का पानी भी मिला तथा कोई प्रदूषण भी नहीं हुआ । ’फ्यूल सेल’ तकनीक एक विद्युत जनरेटर है, जो ’इलेक्ट्रोकेमिकल’(विद्युत रासायनिक प्रणाली) सिद्धांत पर काम करता है।
इस ऊर्जा का उपयोग वाहनों में भी किया जा सकता है !
’फ्यूल सेल’ तकनीक के लाभ को देखते हुए अब वाहनों में भी बैटरी के स्थान पर इस तकनीक का उपयोग करने पर विचार किया जा रहा है। इससे न केवल पारंपरिक इंजनों को शीघ्रता से रिचार्ज किया जा सकेगा, बल्कि ऊर्जा उत्पादन प्रक्रिया में होनेवाले प्रदूषण को भी नियंत्रित किया जा सकेगा ।