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नई देहली – अमेरिका के प्रसारमाध्यम ‘इंटरसेप्ट’ ने प्रकाशित किए वृत्तानुसार भारत सरकार ने अप्रैल २०२३ में उत्तर अमेरिका के भारत के सभी उच्चायुक्तालयों को एक गोपनीय संदेश भेजा था । इसमें सिख संगठनों के विरुद्ध कार्यवाहियां करने को बताया गया था । इसमें कुछ सिख कार्यकर्ताओं के नाम थे । भारत के जांच तंत्र उन्हें खोज रहे थे । इसमें हरदीप सिंह निज्जर भी समाविष्ट था । इस संदेश में कहा था कि सभी संशयितों के विरुद्ध कठोर कदम उठाने का आदेश था । उनकी हत्या का उल्लेख नहीं था । इस संदेश के २ महींनों के उपरांत निज्जर की हत्या हुई ।
‘इंटरसेप्ट’ ने समाचार में आगे कहा है कि भारत ने उसके विरोधकों की हत्या करने के लिए स्थानीय गुंडों का जाल बनाया है । ऐसा ही जाल पाकिस्तान में कार्यरत है । इसलिए निज्जर की हत्या के उपरांत अमेरिका के जांच तंत्र एफ्बीआय ने खलिस्तानियों को सतर्क रहने की चेतावनी दी है ।
भारत द्वारा गोपनीय संदेश का वृत्त अस्वीकार !
‘इंटरसेप्ट’ का भारत के गोपनीय संदेश संबंधी वृत्त भारत सरकार ने अस्वीकार किया है । भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस वृत्त को झूठा कहा है । बागची ने कहा कि गोपनीय संदेश एक कल्पना है । भारत के विरुद्ध जानबूझकर चलाए जा रहे प्रचार का यह एक भाग है । पाकिस्तानी गुप्तचर तंत्र के झूठे समाचार प्रसारित करने के लिए ‘इंटरसेप्ट’ ने इसके पहले भी ऐसे समाचार प्रसिद्ध किए हैं । यह समाचार जिसने लिखा है उसके और पाकिस्तान के गुप्तचर तंत्रों के संबंध स्पष्टरुप से दिखाई दे रहे हैं ।
Our response to media queries on reports of MEA “secret memo” in April 2023:https://t.co/LcHTl5HUpf pic.twitter.com/7ilEyqkVDX
— Arindam Bagchi (@MEAIndia) December 10, 2023
मुर्तजा हुसेन और रयान ग्रिम ने दिया समाचार !
‘इंटरसेप्ट’ का समाचार मुर्तजा हुसेन और रयान ग्रिम ने एकत्रित लिखा है । मुर्तजा के ‘इंटरसेप्ट’ में प्रकाशित १० समाचारों में से ५ समाचार भारत और खलिस्तान से संबंधित हैं । इनमें से एक समाचार पाकिस्तान के गुप्तचर विभाग का संदर्भ देते हुए प्रकाशित किया गया है । इसमें आरोप लगाया है कि, ‘भारत ने दूसरे देशों में सिख और कश्मीरी कार्यकर्ताओं की हत्या की है ।’
संपादकीय भूमिकाअमेरिका निज्जर हत्या के प्रकरण के माध्यम से जानबूझकर भारत पर दबाव लाने का प्रयत्न कर रही है । इस संदर्भ में अब अमेरिका को समझ में आए ऐसी भाषा में भारत द्वारा उसे सुनाना आवश्यक हो गया है ! |