भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद का अनुसंधान
नई देहली – भारतीय चिकित्सकीय अनुसंधान परिषद (‘आइ.सी.एम.आर.’) ने निष्कर्ष दिया है कि कोरोना से ठीक हुए जिन रोगियों को कोरोना के पश्चात (पोस्ट कोविड का) कष्ट हुए, उनकी मृत्यु की संभावना ३ गुना अधिक हो गई है । साथ ही कोरोना का संसर्ग हुए ६.५ प्रतिशत मध्यम से गंभीर रोगियों की मृत्यु एक वर्ष के अंदर हो गई । आइ.सी.एम.आर. से संबंधित एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है, ‘जिनको अल्प स्वरूप का संसर्ग हुआ था, उन पर यह निष्कर्ष लागू नहीं होगा ।’ ३१ चिकित्सालयों के १४ सहस्र ४१९ रोगियों के अनुसंधान से यह निष्कर्ष निकाला गया है । इस संदर्भ में ‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने समाचार प्रकाशित किए हैं ।
कोरोना संक्रमण होने के पहले ही वैक्सीन लगवाने वाले लोगों को लॉन्ग कोविड के लक्षणों से 60% प्रोटेक्शन मिला है। कोरोना से ठीक होने वालों या नेगेटिव हुए मरीजों को महीनों बाद भी लक्षण महसूस हुए। ICMR की स्टडी में ये खुलासा हुआ है। #COVID19 #Vaccine https://t.co/iyb2wGxUAT
— Dainik Bhaskar (@DainikBhaskar) August 22, 2023
१. इस अनुसंधान द्वारा देखा गया है कि चिकित्सालय से डिस्चार्ज मिलने के उपरांत ६० वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों की १ वर्ष में मृत्यु होने का संकट अधिक था । कोरोना से ठीक होने के उपरांत जिन्होंने कोरोना प्रतिबंधात्मक टीका का पहला डोज लिया था, उनकी मृत्यु का भय ४० प्रतिशत अल्प हो गया था ।
२. आइ.सी.एम.आर. के अधिकारियों ने कहा, ‘कोरोना के साथ अन्य बीमारियों के रोगियों में कोविड के कारण मृत्यु होने की संभावना अधिक है । इसका अर्थ यकृत (लीवर) एवं मूत्राशय (वृक्क) से संबंधित बीमार लोगों की अधिक चिंता करना आवश्यक है ।
३. अनुसंधान में मृत्यु के जो संभावित कारण बताए गए हैं, वे इस प्रकार हैं : कोरोना संसर्ग के कारण दीर्घकाल तक जलन, अनेक अवयव अकार्यरत होना एवं फेफडे निकम्मे होना ।