सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘अन्य धर्म का पालन करनेवालों को धर्मशिक्षा मिलती है । इसलिए उनकी उनके धर्म पर श्रद्धा है । इस कारण वे अपने धर्म का प्रसार करते हैं । इसके विपरीत हिन्दुओं को धर्मशिक्षा नहीं मिलती । अतः उनकी धर्म पर श्रद्धा नहीं है । इतना ही नहीं बुद्धिप्रमाणवादियों के कारण हिन्दुओं के मन में धर्म के विषय में संदेह भी निर्माण होते हैं । इस कारण हिन्दू अपने धर्म का प्रसार नहीं करते; और तो और धर्मांतरण भी करते हैं । हिन्दू धर्म का जो थोड़ा-बहुत प्रसार होता है, वह केवल धर्मज्ञानी संत-महात्माओं के कारण । संत महात्माओं के कारण हुई अनुभूतियों के कारण भी कुछ हिन्दुओं की धर्म पर श्रद्धा है।’
✍️ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ʻसनातन प्रभातʼ नियतकालिक