‘लव जिहाद’ रोकने के लिए देश स्तर पर कठोर कानून का निर्माण होना आवश्यक !- यति मां चेतनानंद सरस्वती, महंत, डासना पीठ, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश
हिन्दू युवतियों को ‘लव जिहाद’ में षड्यंत्र की भांति फंसाया जा रहा है । एकाध युवती की मृत्यु के पश्चात भी उसकी मृतदेह पर बलात्कार करना, यह पशु को भी लज्जा आए, ऐसा कृत्य है । ऐसे प्रकार जिहादियों द्वारा चालू है । इस कारण ‘लव जिहाद’ रोकने के लिए जिहादियों के मन में भय निर्माण हो, ऐसा कानून केंद्रीय स्तर पर निर्माण करना आवश्यक है । भारतीय संस्कृति मिटाने के लिए ‘लव जिहाद’ एक षड्यंत्र चालू है । इस कारण ‘लव जिहाद’ को संगठित अपराध मान्य करना चाहिए । ‘द केरला स्टोरी’ फिल्म के माध्यम से यह वास्तविकता सामने आई । अबतक ‘लव जिहाद’ गुप्तता से चालू था; परंतु देहली की साक्षी मलिक नामक युवती की क्रूर हत्या देखते हुए ये प्रकार अब खुलेआम किए जा रहे हैं । हिन्दू संस्कृति को मिटाने के लिए आध्यात्मिक परंपरा नष्ट करना एवं महिलाओं को भ्रष्ट करना, ये षंड्यंत्र चालू हैं ।
‘देश स्तर पर ‘लव जिहाद’ के विरोध में कानून की आवश्यकता’ इस विषय पर मार्गदर्शन करते समय यति माँ चेतनानंद सरस्वती ऐसा बोल रही थीं ।
‘लव जिहाद’ रोकने हेतु राष्ट्रीय स्तर पर कठोर कानून बनाना आवश्यक है !
– यति मां चेतनानंद सरस्वती (@AdvChetna), महंत, डासना पीठ, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश🚩 #Vaishvik_HinduRashtra_Mahotsav 🚩
16 से 22 जून 2023 | https://t.co/8JbMASZXdH pic.twitter.com/CcPUe36tda
— HinduJagrutiOrg (@HinduJagrutiOrg) June 16, 2023
हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करने के लिए हिमालय की ऊंचाई जितना धर्मकार्य करने की आवश्यकता ! – पू. श्रीराम ज्ञानीदास महात्यागी, संस्थापक, तिरखेडी आश्रम, गोंदिया
देश का विकास तो हो रहा है; परंतु बंद इंजनवाले विमान की भांति हम भटक गए हैं । हमारी बौद्धिक क्षमता बढी है; परंतु हृदय छोटा हुआ है । भारत में ८० प्रतितशत हिन्दू हैं; परंतु उनमें से कितने हिन्दुओं में हिन्दुत्व जीवित है ? हिन्दुत्व जीवित होता, तो वर्ष १९४७ में ही भारत ‘हिन्दू राष्ट्र’ बन जाता । केवल ज्ञान से हिन्दू राष्ट्र नहीं आएगा, अपितु उसके लिए ईश्वर के प्रति भाव तथा हिमालय की ऊंचाईवाला धर्मकार्य करना आवश्यक है । मार्गदर्शन देनेवाले सहस्रों हैं; परंतु हिन्दुत्व का कार्य करनेवाले कुछ गिने-चुने ही हैं । हिन्दू समाज विभिन्न पंथों में विभाजित हुआ है । हिन्दू समाज जब ‘हिन्दू’ के रूप में एकत्रित होगा, तभी जाकर ‘रामराज्य’ आएगा । अब इसका समय आ चुका है कि संतों को मठों एवं मंदिरों के कोष से हिन्दू धर्म के प्रचार के लिए बाहर निकलना चाहिए । गांव-गांव जाकर मठों-मंदिरों में धर्मशिक्षा देने के लिए प्रयास करने चाहिएं ।
धर्मांतरण रोकने के लिए हिन्दुओं को धर्म की शिक्षा देना आवश्यक ! – पू. भागीरथी महाराज, संस्थापक, श्री गुरुकृपा सेवा संस्थान, नागपुर
कोरोना काल में हमने महाराष्ट्र के विदर्भ में धर्मांतरण रोकने के लिए कार्य किया । धर्मांतरण रोकने के कार्य में हमारा निरंतर विरोध हो रहा है । असुरी शक्तियों ने हनुमानजी को भी ईश्वरीय कार्य करते समय रोकने का कार्य किया । उसी प्रकार धर्मकार्य करते हुए हमें भी विरोध का सामना करना ही पडेगा । बीज जिस प्रकार से स्वयं नष्ट होकर वृक्ष बनाता है, उस प्रकार से हमें समर्पित होकर कार्यरत रहना पडेगा । क्रांतिकारियों ने राष्ट्र के लिए फांसी का स्वीकार किया, तो हमें भी संपूर्ण समर्पित होकर धर्मकार्य करना होगा । लोकमान्य तिलकजी ने हिन्दुओं को एकत्रित करने के लिए सार्वजनिक गणेशोत्सव आरंभ किया; परंतु आज के समय में भगवान को भूलकर मंदिरों-मंदिरों में विवाद चल रहे हैं । हमें विवाद करने के स्थान पर मंदिरों से धर्म की शिक्षा देना आवश्यक है । धर्मांतरण रोकने के लिए हिन्दू समाज को धर्म की शिक्षा देना आवश्यक है ।
महानुभाव पंथ का हिन्दू राष्ट्र की स्थापना में सक्रिय सहभाग रहेगा ! – पू. सुदर्शन महाराज कपाटे, अध्यक्ष, ग्लोबल महानुभाव संघ, छत्रपति संभाजीनगर
प्रत्येक व्यक्ति माता, पिता, भाई, बहन पर प्रेम करना सिखाता है; परंतु कोई भी अपने धर्म पर प्रेम करना नहीं सिखाता । इसलिए अपने बच्चों को हिन्दू धर्मशास्त्र की सीख दिए बिना हिन्दू राष्ट्र की स्थापना नहीं होगी । धर्मांध उनके बंधुओं के संकट के समय उनकी सहायता के लिए दौडे चले जाते हैं; परंतु एक लडकी की देह के जब ३६ टुकडे हो रहे होते हैं, तब हिन्दू उसकी सहायता नहीं करते । वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव समाप्त होने के उपरांत सब अपने घर लौट जाएंगे; परंतु प्रत्येक को इस महोत्सव की सीख आचरण में लानी चाहिए तथा प्रतिदिन कुछ घंटे धर्म के लिए देना आवश्यक है । महानुभाव पंथ सनातन हिन्दू धर्म का ही एक भाग है । इसलिए महानुभाव पंथ का हिन्दू राष्ट्र की स्थापना में सक्रिय सहभाग रहेगा ।
हिन्दू धर्म के पुनरुज्जीवन के कार्य में प्रसारमाध्यमों की भूमिका अहम् ! – जयकृष्णन् जी., उद्घोषक पी. गुरुज् वाहिनी, चेन्नई
आज के समय हम हिन्दू धर्म के पुनरुज्जीवन की दहलीज पर खडे हैं । प्रसारमाध्यम हिन्दू धर्म के पुनरुज्जीवन में बहुत बडी भूमिका निभा रहे हैं । हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए सामाजिक माध्यम, मुद्रित प्रसारमाध्यम एवं इलेक्ट्रॉनिक प्रसारमाध्यमों से बहुत बडा योगदान अपेक्षित है । सनातन संस्था ने समय की आवश्यकता को भांपकर गोवा में बहुत बडा प्रसारणयोग्य स्टुडियो (चित्रीकरण कक्ष) तैयार किया है । सनातन ने आध्यात्मिक साधना में कुलदेवता के नामजप पर बल दिया है । हाल ही के कुछ दिनों में इस विषय पर ‘कांतारा’ एवं ‘मल्लिकापूरम्’ जैसी फिल्में भी बनाई गई हैं ।
आजकल अनेक लोग आक्रमण के भय के कारण अल्पसंख्यकों के धर्म के विषय में नहीं बोलते; परंतु आज के समय में हिन्दू धर्म के कार्य को निर्भयता से आगे बढाने का समय आ चुका है ।