(क्रैश कोर्स अर्थात अल्प कालावधि का पाठ्यक्रम)
न्यूयॉर्क (अमेरिका) – अमेरिका के इतिहास में पहली बार ही हिन्दू रोगी चिकित्सालय के पलंग पर प्रार्थना कर पाएंगे । अपने इष्ट देवता की मूर्ति रख पाएंगे । अमेरिका में पहली बार ही ऐसी अनुमति दी गई है । इसी के साथ अमेरिका निवासी हिन्दुओं की श्रद्धा ठीक से समझ पाने के लिए डॉक्टरों को ‘क्रैश कोर्स’ करना पडेगा । इस हेतु बायडेन सरकार ने सभी चिकित्सालयों के लिए पुस्तक प्रकाशित की है ।
१. बायडेन सरकार ने चिकित्सालयों को ऐसे निर्देश भी दिए हैं कि हिन्दू मां-बाप को अपनी संतान के जन्मोपरांत संस्कार करने के लिए हाथ पर ओमकार लिखना, छठे दिन नवजात शिशु की गर्भनाल भूमि में गाडना, उपवास तथा शाकाहारी पद्धतियों का पालन करना इत्यादि की अनुमति दी जाए ।
२. चिकित्सालय में हिन्दू महिला रोगी पवित्र धागा, कर्णकुंडल तथा मंगलसूत्र जैसे सौभाग्यालंकार भी परिधान कर सकेंगी । पुरुष रोगियों को भी धार्मिक दृष्टि से आवश्यक वस्तुएं साथ में रखने की अनुमति दे दी गई है । ऐलोपैथिक औषधियों के साथ हिन्दू रोगी आयुर्वेदिक औषधियां भी ले सकते हैं । बायडेन सरकार ने बताया है कि आयुर्वेद भारतीय जीवन पद्धति का अविभाज्य अंग होने के कारण डॉक्टरों को हिन्दू रोगियों की आयुर्वेद संबंधी भावनाएं समझनी चाहिए ।
डॉक्टरों को ‘कर्म सिद्धांत’ ज्ञात होना आवश्यक ! – अमेरिका के मैरीलैंड राज्य के गवर्नर वॅस मूर
अमेरिका के मैरीलैंड राज्य के गवर्नर वॅस मूर ने कहा कि कर्म सिद्धांत के प्रति हिन्दू रोगियों की जो श्रद्धा है, उस विषय में डॉक्टरों को जानकारी होनी चाहिए । इससे डॉक्टर एवं रोगी कोई भी निर्णय अधिक अच्छे प्रकार से ले पाएंगे ।
मैरीलैंड विधानसभा सदस्य कुमार बर्वे ने कहा कि इस पुस्तक के कारण हिन्दू धर्मांतर्गत मूल्यों के प्रति समझ विकसित हो सकती है ।