पाकिस्तान को सूचना उपलब्ध कराने के प्रकरण में पुणे में डी.आर.डी.ओ. के संचालक को ए.टी.एस. ने बंदी बनाया !

 ‘हनीट्रैप’ में फंसकर पाकिस्तान को सूचनाएं उपलब्ध कराने का संशय !

डी.आर.डी.ओ. के संचालक डॉ. प्रदीप कुरुलकर को बंदी बनाया

पुणे – रक्षा अनुसंधान एवं संगठन (डी.आर.डी.ओ.) के संचालक डॉ. प्रदीप कुरुलकर को आतंकवाद विरोधी दल ने बंदी बनाया है । यह कार्रवाई ‘हनीट्रैप’ में फंसने तथा पाकिस्तान को गोपनीय सूचनाएं देने के संदेह में की गई है । ‘हनीट्रैप’ में किसी शत्रु देश में संबंधित व्यक्ति से गोपनीय जानकारी प्राप्त करने के लिए महिलाओं का उपयोग कर संबंधित व्यक्ति का ‘भयदोहन’ किया जाता है । भारत में रक्षा संबंधी महत्त्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त करने के लिए पाकिस्तान अनेक बार ‘हनीट्रैप’ का उपयोग कर चुका है ।

१. आतंकवाद विरोधी दल द्वारा डॉ. प्रदीप कुरुलकर के विरुद्ध मुंबई में आपराधिक प्रकरण प्रविष्ट किया गया है । आगे का अन्वेषण पुणे पुलिस को सौंपा गया है । ‘कुरुलकर ने पाकिस्तान को कौन सी संवेदनशील जानकारी दी थी ?’, ए.टी.एस. अब इसकी जांच कर रही है ।

२. डॉ. प्रदीप कुरुलकर ‘रिसर्च एंड डेवलॉपमेंट’ (इंजीनियर्स)´ विभाग में कार्यरत हैं । फरवरी माह में भारतीय गुप्तचर संस्थाओं के ध्यान में आया कि प्रदीप कुरुलकर एक ‘हनीट्रैप’ में फंस गए थे तथा ‘वीडियो चैट’ एवं अन्य सामाजिक माध्यमों से पाकिस्तान में गुप्तचर एजेंसियों के संपर्क में थे ।

३. इसके उपरांत इसकी जानकारी डी.आर.डी.ओ. को दी गई । डी.आर.डी.ओ. के ‘सतर्कता’ विभाग ने प्रकरण की जांच की तथा एक विवरण तैयार किया एवं विभिन्न भारतीय जांच संस्थाओऺ को उसकी प्रतियां दी गईं । उस प्रतिवेदन की प्रति प्राप्त होने के उपरांत महाराष्ट्र ए.टी.एस. ने प्रकरण की जांच की एवं डॉ. कुरुलकर को बंदी बना लिया । डॉ. कुरुलकर इसी वर्ष नवंबर में सेवानिवृत्त होने वाले थे ।

संपादकीय भूमिका 

मातृभूमि के साथ विश्वासघात करने वाले ऐसे अधिकारियों के लिए कठोर दंड की अपेक्षा की जाती है । डी.आर.डी.ओ. जैसे राष्ट्ररक्षा से जुडे एक महत्त्वपूर्ण संगठन में यदि इस प्रकार की घटनाएं हो रही हैं, तो यह स्थिति अत्यंत गंभीर  है !