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दमोह (मध्य प्रदेश) – बिगडे हुए पर्यावरण की चिंता में दमोह के २५ वर्षीय आईटी अभियंता डॉ. छयन लोहा गुजरात में लाखों रुपए की नौकरी त्याग कर गांव वापस आए । गांव में उन्होंने गौशाला चालू की । गोबर से ईंट बनाए । इन ईंटों का प्रयोग कर उन्होंने ठंडा-गरम और विषाणु मुक्त घर बनाया । राज्य में इस प्रकार का यह दूसरा प्रयोग है । इसके पूर्व ग्वालियर में ऐसे घर का निर्माण किया गया था ।
(सौजन्य: Amar Ujala MP-CG)
आईटी अभियंता और आयुर्वेद से पंचगव्य की शिक्षा लिए हुए डॉक्टर लोहा ने कहा,
१. मेरे गुरु डॉ. एस.डी. मलिक से मैंने गाय के गोबर से ईंट और ‘वैदिक प्लास्टर’ बनाने की कुशलता सीखी ।
२. गोबर से बनी यह ईंट प्रयोगशाला की जांच में सामान्य ईंटों की अपेक्षा सस्ती और मजबूत है, ऐसी बात ध्यान में आई । साथ ही यह ईंट पूर्ण रूप से विषाणु मुक्त है ।
३. वैदिक घर ठंड और गरम से मुक्त होते हैं । गोबर की ईंट में मिट्टी, घास का गठ्ठा और प्राकृतिक वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है । ये सभी वस्तुएं गर्मी को अपने में शोषित कर लेती हैं और बहुत ही धीमी गति से बाहर छोड़ती हैं । इस कारण यह ईंट बहुत समय तक तापमान को नियंत्रण में रखती है ।