संयुक्त राष्ट्र के सबसे आनंदमय देशों की सूची में भारत का स्थान पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश से भी नीचे है !

नई देहली – ‘वर्ल्ड हैप्पीनेस डे’ के दिन अर्थात २० मार्च को घोषित ‘वर्ल्ड हैप्पीनेस डे इंडेक्स’ में विश्व के सर्वाधिक आनंदी देशों के नाम प्रकाशित किए गए हैं । १३७ देशों की इस सूची में भारत १२५ वें स्थान पर है । गत वर्ष इसी सूची में १३६ वां स्थान था । पाकिस्तान १०८ वें स्थान पर है । उसके ऊपर बांग्लादेश ११८ वें स्थान पर, श्रीलंका ११२ वें स्थान पर और नेपाल ७८ वें स्थान पर है । सूची की घोषणा संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास समाधान समूह (‘सस्टेनेबल डेव्हलपमेंट सोल्युशन्स नेटवर्क’) द्वारा की गई है ।  इस सूची को बनाते समय विभिन्न मानदंडों को ध्यान में रखा जाता है । उनके आधार पर, विश्व भर के देशों की स्थिति का मूल्यांकन करके सूची में स्थान निर्धारित किया जाता है । भारत में १,००० लोगों के मत लेने के उपरांत इस सूची में भारत की स्थिति निर्धारित की गई है । (केवल एक सहस्त्र लोगों के मत के आधार पर देश के १४० करोड लोगों की स्थिति कैसे समझी जा सकती है ? – संपादक)

१. इस सूची के अनुसार गत ६ वर्षों की तरह इस वर्ष भी विश्व के सर्वानंदी देशों की सूची में फिनलैंड को प्रथम  स्थान मिला है । इसके उपरांत डेनमार्क, आइसलैंड, इजराइल, नीदरलैंड, स्वीडन, नॉर्वे, स्विट्जरलैंड, लक्समबर्ग और न्यूजीलैंड हैं ।

२. सबसे कम आनंदी देशों में तालिबान शासित अफगानिस्तान सबसे नीचे है । इसके उपरांत लेबनान, जिम्बाब्वे और कांगो देशों का समावेश है ।

सूची निर्माण करने के लिए स्वीकृत निकष !

सूची के निकषों में सामान्य जीवन प्रत्याशा, सकल राष्ट्रीय आय, सामाजिक सद्भाव, भ्रष्टाचार का स्तर और जीवन के निर्णय लेने के लिए नागरिकों की स्वतंत्रता का समावेश था । ( कहां आध्यात्मिकता है, जो किसी व्यक्ति के उच्च आध्यात्मिक मानदंडों जैसे उसके कंपन, उसकी साधना, चेहरे के भाव आदि के माध्यम से उसका मूल्यांकन करती है, और कहां बाह्य और भौतिकवादी मानदंड के आधार पर किसी व्यक्ति के सुख का मूल्यांकन करने वाले पाश्चात्य निकष ! – संपादक)

संपादकीय भूमिका 

क्या कभी यह कहा जा सकता है कि जिन देशों में लोगों को भोजन तक प्राप्त नहीं हो रहा है, वहां के लोग भारतीयों से अधिक आनंदी कैसे हो सकते हैं ? अब तक यह देखा गया है कि विदेशी निकायों की ऐसी सूचियां और निष्कर्ष सदा भारत को नीचा दिखाने वाले होते हैं । अत: सरकार को यह घोषणा करनी चाहिए कि, भारतीयों को  ऐसे लोगों पर विश्वास नहीं करना चाहिए !