अयोध्या (उत्तर प्रदेश) – यहां की श्रीरामजन्मभुमि पर बन रहे भव्य श्रीराममंदिर में श्रीराम की मूर्ति के लिए नेपाल की गंडकी नदी के परिसर से ७ फीट बाइ ५ फीट आकार की शिला खोजी गई । मूर्ति के लिए शिला खोजने के लिए मंदिर न्यास के सदस्य कामेश्वर चौपाल के नेपाल की गंडकी नदी के परिसर में भेजा गया था । जनकपुर में २७ जनवरी को वसंत पंचमी के दिन इस शिला का विधिवत् पूजन किया जाएगा । उसके उपरांत यह शिला जनकपुर से मधुबनी-दरभंगा मार्ग से २ फरवरीतक अयोध्या में लाई जानेवाली है । इसी शिला से ही श्रीराम की साढे पांच फीट ऊंचाईवाली खडी मुद्रा की स्थिति में मूर्ति बनाई जानेवाली है ।
Ayodhya Mandir: नेपाल के कालीगंडकी शिलाओं से बनेगी श्रीराम की प्रतिमा, जानिए शालिग्राम पत्थर का महत्व? #ayodhya #rammandir #ramjanmbhoomi #nepal https://t.co/XN6kVU7c8d
— Oneindia Hindi (@oneindiaHindi) January 17, 2023
शालिग्राम शिला से बनाई जानेवाली मूर्ति में होते हैं ६ प्रकार के लाभ !
कामेश्वर चौपाल ने बताया कि नेपाल के श्रद्धालुओं को जब इस शिला से अयोध्या की रामलला की मूर्ति बनाई जानेवाली है, तब से उनमें इस शिला की पूजा तथा स्वागत करने के लिए बहुत उत्साह है ।
यह शालिग्राम शिला बहुत मंहगी होती है; परंतु नेपाल सरकार की सहायता से उसे प्राप्त किया गया है । गंडकी नदी में इस शिला का चयन करने के लिए नेपाल के पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञों से सहायता ली गई थी । इस शालिग्राम शिला का बडा धार्मिक महत्त्व है । इस पर ही भगवान श्रीविष्णु का निवास होता है, ऐसी मान्यता है । शालिग्राम शिला से बनाई जानेवाली शिला से सुखी जीवन, समृद्धि, अनिष्ट शक्तियों से रक्षा, स्वास्थ्यलाभ, वैश्विक आनंद एवं भगवान की कृपा; ऐसे ६ लाभ होते हैं, ऐसी मान्यता है ।
श्रीरामनवमी के दिन दोपहर १२ बजे मूर्ति पर सूर्यकिरण आएंगे ! – श्रीराम मंदिर न्यास के महासचिव चंपत राय
श्रीराम मंदिर न्यास के महासचिव चंपत राय के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार देश के कुशल कारीगरों का ३ सदस्यीय दल श्रीराम की मूर्ति का आरेखन एवं प्रतिकृति तैयार करने के लिए काम कर रहे हैं । अभीतक खडी मुद्रा में स्थित छोटी प्रतिकृतियां बनाई गई हैं । मंदिर न्यास उनमें से किसी एक प्रतिकृति का चयन करेगा । यह मूर्ति साढेपांच फीट ऊंची होगी । उसके नीचे लगभग ३ फीट ऊंचाईवाला चबुतरा होगा । खगोलीय विज्ञापनी मंदिर की रचना के लिए विशेष प्रबंध कर रहे हैं, जिससे श्रीरामनवमी के दिन दोपहर १२ बजे श्रीरामजी के जन्म के उपरांत सूर्य की किरणें रामलला के माथे पर पडकर प्रकाशमान होंगी । अगले वर्ष जनवरी माह में मकरसंक्रांति के शुभमुहूर्त पर भव्य श्रीराम मंदिर में रामलला की मूर्ति पर अभिषेक का कार्यक्रम सुनिश्चित किया गया है ।