द्वेष फैलानेवाले वृत्त निवेदकों को हटाएं ! – सर्वोच्च न्यायालय

नई देहली – टी.आर.पी.के लिए (‘टार्गेट रेटिंग पॉईंट’ के लिए) समाचार वाहिनियां सनसनीखेज समाचार बनाती हैं । द्वेष फैलानेवाले वृत्त निवेदकों को कार्यक्रमों से हटा देना चाहिए । द्वेष फैलानेवाली बातें देश के लिए संकटदायी हैं, सर्वोच्च न्यायालय ने इस संदर्भ में याचिकाओं पर सुनवाई के समय ऐसा मत व्यक्त किया । आपत्तिजनक तथा द्वेषपूर्ण वक्तव्यों पर कार्यवाही करने के संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय में याचिकाएं प्रविष्ट की गई हैं । उन पर सुनवाई करते समय न्यायालय ने उपर्युक्त मत व्यक्त किया ।

१. सुनवाई के समय ‘न्यूज ब्रॉडकास्टर्स तथा डिजिटल एसोसिएशन’ द्वारा (‘एन.बी.एस.ए.’ द्वारा) बताया गया कि इस संदर्भ में हम प्रकरणों की सुनवाई कर रहे हैं । विवादग्रस्त वीडियो हटा दिए जाते हैं; परंतु सुदर्शन टीवी, रिपब्लिक टीवी समान कुछ वाहिनियां हमारी सदस्य नहीं हैं ।

२. उत्तराखंड सरकार ने न्यायालय में कहा कि उनके राज्य में द्वेषपूर्ण वक्तव्यों के संदर्भ में कुल मिला कर ११८ अपराध प्रविष्ट किए गए हैं ।

३. उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया कि द्वेषपूर्ण वक्तव्यों के संदर्भ में वहां कुल मिला कर ५८१ अपराध प्रविष्ट किए गए हैं ।

४. केंद्र सरकार ने कहा कि जब तक गंभीर समस्याएं नहीं निर्माण होतीं अथवा देश की सुरक्षा पर संकट नहीं निर्माण होता, तब तक ऐसे प्रकरणों में केंद्र सरकार हस्तक्षेप नहीं करेगी ।

न्यायालय द्वारा प्रस्तुत सूत्र

अ. सब कुछ टी.आर.पी. के लिए चल रहा है । वृत्त वाहिनियां एक-दूसरे से प्रतियोगिता कर रही हैं । वे घटनाओं को सनसनीखेज पद्धति से प्रस्तुत करती हैं । दृश्यों द्वारा वे समाज में अंतर कर रही हैं । समाचार पत्रों की तुलना में वृत्त वाहिनियां लोगों को अधिक प्रभावित करती रहती हैं । क्या अपने दर्शक इतने सक्षम हैं कि वे ऐसा प्रसारण देख सकें ?

आ. न्यायालय ने इस समय ‘एन.बी.एस.ए.’ अधिवक्ता को पूछा कि यदि वृत्त वाहिनियों पर कार्यक्रम प्रस्तुत करनेवाला सूत्र संचालक समस्या निर्माण करता है, तो क्या करना चाहिए ? ‘एन.बी.एस.ए.’ को इस संदर्भ में पक्षपात नहीं करना चाहिए । उसने कितनी बार ऐसे सूत्र संचालकों को हटाया है? सीधे प्रक्षेपित होनेवाले कार्यक्रमों के लिए सूत्र संचालक ही उत्तरदायी होते हैं; क्योंकि उसके पास उसका नियंत्रण होता है । यदि वह निष्पक्ष नहीं है, तथा एक ही पक्ष की बाजू सामने लाता है, तो दूसरे पक्ष की बोली (आवाज) बंद कर सकता है, एक पक्ष के विषय में प्रश्न उपस्थित नहीं करेगा । यह एक प्रकार का पक्षपात ही है ।

इ. समाचार वाहिनियों के समाचारों का परिणाम पूरे देश पर होता है । उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें अपने मन की बातें बताने का अधिकार नहीं है । जो सूत्र संचालक कार्यक्रम के नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, उन्हें हटा कर दंडस्वरूप उनसे बडी राशि वसूल करनी चाहिए ।

ई. जब कोई वृत्त वाहिनी लोगों को आमंत्रित करती है, तब लोगों को अपशब्द भी कहती है । उदाहरण के रूप में देखा तो कुछ समय पूर्व ही एक व्यक्ति द्वारा विमान में एक महिला पर लघुशंका करने की घटना हुई थी । उस व्यक्ति को नियंत्रण में लेने पर माध्यमों ने उसके विरुद्ध अश्लील शब्दों का प्रयोग किया । यह प्रकरण एक अभियोग समान है । कृपया किसी को कलंकित करने की धृष्टता न करें । प्रत्येक व्यक्ति की अपनी अस्मिता है ।