मुंबई पर आतंकवादी आक्रमण के १३ वर्ष उपरांत भी देश के बंदरगाहों की सुरक्षा में लापरवाही ! – नियंत्रण तथा महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा फटकार

नई देहली – मुंबई पर २६ नवंबर २००८ को हुए आतंकवादी आक्रमण के उपरांत भारतीय तटों की सुरक्षा के संदर्भ में केंद्रीय मंत्रीमंडल समिति ने कुछ निर्देश दिए थे । ये पूर्ण करने में १३ से ६१ माह का विलंब हुआ । इतना ही नहीं, अपितु जून २०२१ तक कुछ बंदरगाहों के लिए आवश्यक सुरक्षा सुविधाओं की पूर्ति भी नहीं की गई थी । उसकी पूर्ति के लिए फरवरी २००९ में अर्थात १३ वर्ष पूर्व ही अनुमति दी गई थी, नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक (कैग) के ब्यौरे में फटकार लगाते हुए ऐसा कहा गया है । यह ब्यौरा केंद्रशासन को सौंपा गया है ।

‘कैग’ के ब्यौरे में कहा गया है कि,

१. मुंबई पर आक्रमण के उपरांत ‘सागर प्रहरी बल’ के लिए ‘फास्ट इंटरसेप्टर क्राफ्ट्स’ (तीव्रगति नौका) पूर्ति के लिए १३ से ६१ माह का विलंब हुआ । जिन बंदरगाहों पर ये नौकाएं नियुक्त की गईं, वहां उनका प्रयोग अत्यंत अल्प मात्रा में किया गया । अनेक स्थानों पर कर्मचारियों की पर्याप्त नियुक्ति भी नहीं की गई ।

२. नौदल द्वारा ‘बूस्ट गैस टर्बाइन’ अनुपात से अधिक रखा गया था । इस टर्बाइन को क्रय करते समय संग्रह की जांच नहीं की गई थी । इस कारण अधिक मात्रा में क्रय किए गए थे, ये २१३ से अधिक मात्रा में क्रय किए गए; २१३ करोड ९६ लाख रुपए का अतिरिक्त व्यय (खर्च) हुआ ।

संपादकीय भूमिका

केवल भारत में ही ऐसा हो सकता है ! इसके लिए उत्तरदायी लोगों पर कार्यवाही होना असंभव है, यह भी उतना ही स्पष्ट है !