नई दिल्ली – ३० महीने पूर्व लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच रक्तरंजित झड़प के उपरांत भी चीन ने वहां सैनिकों की संख्या में कमी नहीं की है और न ही वहां निर्माण की जाने वाली बुनियादी सुविधाओं में कमी की है। भारतीय सेना प्रमुख मनोज पांडे ने कहा, इसलिए, यद्यपि वर्तमान में वहां स्थिति स्थिर प्रतीत होती है, किन्तु इससे कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता । वह ‘चाणक्य डायलॉग्स’ कार्यक्रम में बोल रहे थे। पिछले ढाई वर्षों में, भारत और चीन में से प्रत्येक ने ५० सहस्त्र सैनिकों को तैनात कर रखा है, साथ ही शस्त्रों का बड़ा भंडार भी एकत्रित किया है ।
१. जनरल मनोज पांडे ने आगे कहा कि हम सभी जानते हैं कि चीन कहता कुछ है और करता कुछ अलग है। एक तरह से यह कपट है। हमें उसके लिखित बयानों या संधियों पर विश्वास न कर उसके वास्तविक कृत्यों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
२. जनरल पांडे ने आगे कहा कि गलवान क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सैनिकों की संख्या ठंड की ऋतु में कम होने की संभावना है तथापि व्यापक अर्थों में यहां हमें सतर्क रहने और स्थिति पर तीक्ष्ण दृष्टि रखने की आवश्यकता है जिससे भारत अपनी रक्षा कर सके।
३. भारत और चीन के बीच विवाद को लेकर सैन्य वार्ता के अगले चरण में २ बिंदुऒऺ को सुलझाने पर ध्यान दिया जाएगा। अब तक ७ में से ५ समस्याऒऺ को हल किया जा चुका है। यद्यपि डोमचोक और देपसांग के बिंदुऒऺ पर अभी भी विवाद है।
संपादकीय भूमिकासरकार को चाहिए कि भारत के विनाश के दिवास्वप्न देखने वाले चीन से पूर्ण संबंध विच्छेद कर शत्रुवत व्यवहार करे एवं चीन को उसकी ही भाषा में सबक सिखाएं ! |