वायु प्रदूषण से बढ रही है निराशा (डिप्रेशन) !

लोगों की स्मरणशक्ति पर भी प्रतिकूल परिणाम !

नई देहली – ब्रिटेन में किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि वायु प्रदूषण का सीधा संबंध मानसिक स्वास्थ्य से है । अध्ययन में देखा गया है कि प्रदूषण के कारण मानसिक समस्याएं बडी मात्रा में उत्पन्न हो सकती हैं । प्रदूषण के कारण मानसिक बीमारी अति गंभीर बन सकती है । बढते वायु प्रदूषण के कारण लोगों में निराश होने की मात्रा बढ रही है । इस कारण अनेक लोग आत्महत्या भी कर रहे हैं । प्रदूषित स्थान पर रहनेवाले लोगों को मानसिक विकार होने की संभावना अधिक होती है । वायु प्रदूषण स्मृतिभ्रंश जैसी संकटदायी बीमारी का कारण भी बन सकता है ।

१. वायु प्रदूषण के कारण मानसिक समस्याओं से ग्रसित अनुमान से ३२ प्रतिशत लोगों को उपचारों की आवश्यकता है, जबकि १८ प्रतिशत लोगों को प्रदूषित वायु में स्थित ‘नाइट्रोजन डाइऑक्साइड’ के संपर्क में आने के कारण चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था । यह अध्ययन वर्ष २०२१ में ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने किया था । इस अध्ययन में १३ सहस्र लोगों को सम्मिलित किया गया था ।

२. वर्ष २०१९ के वैश्विक विवरण में उजागर हुआ है कि वायु प्रदूषण के कारण हमारी देह में स्थित प्रत्येक अवयव पर प्रतिकूल परिणाम हो सकता है । इस कारण प्रदूषण से बचने के लिए लोगों को पूरे प्रयास करने चाहिए ।

३. ‘अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन’ के विवरण के अनुसार, अब तक अनेक शोधकार्यों में यह बात ध्यान में आई है कि वायु प्रदूषण के कारण लोगों की स्मरणशक्ति क्षीण हो सकती है । उसका सर्वाधिक परिणाम छोटे बच्चे और वृद्ध लोगों पर होता है । इतना ही नहीं, अपितु प्रदूषण के कारण निराश होने का संकट भी बढ जाता है । विषाक्त (जहरीली) हवा केवल हमारे फेफडे एवं हृदय के लिए ही नहीं, अपितु मस्तिष्क के लिए भी संकटदायी हो सकती है ।

संपादकीय भूमिका

१०० वर्ष पूर्व प्रदूषण नाम का कोई अस्तित्व ही नहीं था; परंतु जैसे जैसे विज्ञान द्वारा कथित विकास हो रहे हैं, वैसे वैसे प्रदूषण बढ रहा है एवं पृथ्वी तथा पृथ्वी पर उपलब्ध सर्व प्रकार की संपदाओं पर उसका विनाशकारी परिणाम हो रहा है, यह सत्य कब स्वीकार होगा ?