प्रथम पत्नी का पोषण करने में असक्षम मुसलमान दूसरा विवाह नहीं कर सकता !

कुरान का संदर्भ देते हुए अलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा महत्त्वपूर्ण निर्णय

प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) – कुरान के अनुसार कोई व्यक्ति तभी दूसरा विवाह कर सकता है, जब वह व्यक्ति अपनी प्रथम पत्नी तथा बच्चों का योग्य प्रकार से पालनपोषण कर सके तथा उसके लिए सक्षम हो । यदि वह व्यक्ति उनका पोषण करने में सक्षम न हो, तो उसे दूसरा विवाह करने का कोई भी अधिकार नहीं, अलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कुरान का संदर्भ देते हुए ऐसा महत्वपूर्ण निर्णय दिया । एक मुसलमान व्यक्ति ने दूसरे विवाह के लिए याचिका प्रविष्ट की थी । न्यायालय ने उपर्युक्त उदाहरण देते हुए उस याचिका को अस्वीकार कर दिया ।

१. न्यायालय ने आगे कहा कि जिस समाज में महिलाओं का सम्मान नहीं किया जाता, वह समाज सभ्य नहीं समझा जाता । महिलाओं का सम्मान करनेवाला देश ही सभ्य देश कहा जा सकता है । मुसलमानों को चाहिए कि अपनी प्रथम पत्नी रहते हुए दूसरा विवाह करने से स्वयं को रोकें । कुरान में एक पत्नी को न्याय न देनेवाले को दूसरा विवाह करने की अनुमति नहीं दी गई है ।

२. याचिकाकर्ता अजीजुर्रहमान ने हमीदुन्निशा से १२ मई १९९९ में विवाह किया था । अब अजीजुर्रहमान ने हमीनदुन्निशा को बताए बिना दूसरा विवाह करने का निश्चय किया था । इस संदर्भ में उसने पारिवारिक न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की थी; परंतु उस पर निर्णय न आने के कारण उसने अलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की थी ।