गोवंश हत्या के भीषण परिणाम !

१. ‘गोपालन करनेवाले भगवान श्रीकृष्ण के कारण उस समय भारत समृद्ध था । आज के समय की सर्वदलीय सरकारों द्वारा सर्वत्र गोवंश हत्या करनेवाले पशुवधगृह चलाने के कारण आज भारत निर्धन होकर इस दयनीय स्थिति तक पहुंच गया है ।’

२. ‘संपत्काल में अर्थात प्राचीन युगों में ‘गोदान देना’ साधना थी । आज के आपातकाल में जहां गायों के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह उठा है, ऐसे समय में ‘गोदान देना’ नहीं, अपितु ‘गोरक्षा करना’ महत्त्वपूर्ण है ।’

– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

१. गोहत्या : हिन्दू धर्म पर स्थित भीषण संकट !

भारत में प्रतिवर्ष लाखों गोवंश की हत्या की जाती है । इन गोहत्याओं के लिए भारत में ३३ सहस्र ६०० वैध-अवैध पशुवधगृह (कत्तलखाने) कार्यरत हैं । उनमें से देवनार (महाराष्ट्र) तथा अल् कबीर (आंध्र प्रदेश) ये भारत में स्थित पशुवधगृह एशिया के सबसे बडे पशुवधगृह हैं तथा यहां प्रतिदिन सहस्रों गोहत्याएं की जाती हैं । इन पशुवधगृहों से प्राप्त गोमांस केंद्र शासन खरीदता है । वर्ष २०१२ में भारत में ३६.४३ लाख मैट्रिक टन पशुओं के मांस का व्यापार हुआ था । भावी काल में दूध का अभाव हुआ, तो केंद्र शासन का यह उत्तर होगा कि दूध के अभाव का सामना करने के लिए हम दूध के पाऊडर का आयात करेंगे !’

२. हिन्दुओ, गोरक्षा की गौरवशाली धरोहर को संजोएं !

गोपालक भगवान श्रीकृष्ण ने मथुरा के राजा कंस की वक्रदृष्टि से गोकुल के गायों की रक्षा की । त्रेतायुग के सूर्यवंशी सम्राट राजा दिलीप ने गायों के प्राण बचाने के लिए अपनी गर्दन सिंह के मुख में देने की तैयारी दर्शाई । गोब्राह्मणप्रतिपालक छत्रपति शिवाजी महाराज ने गोहत्या करनेवाले कसाईयों को कठोर दंड देकर गोरक्षा का आदर्श स्थापित किया । क्रांतिदूत मंगल पांडे की गोभक्ति के कारण ही वर्ष १८५७ के स्वतंत्रता संग्राम का आरंभ हुआ । चारों पीठों के शंकराचार्याें के तत्त्वावधान में देशव्यापी गोरक्षा आंदोलन खडा हुआ । इन सभी का आदर्श सामने रखकर हम भी गोरक्षा की यह गौरवशाली धरोहर संजोएंगे ।

गोहत्या – हिन्दू धर्म की असीमित हानि !

जिस गोमाता में ३३ करोड देवताओं का निवास है, उस गोमाता की आज खुलेआम हत्या की जा रही है । हमने गोहत्या रोकने के लिए प्रधानता नहीं ली, तो भविष्य में गोग्रास देने के लिए भी गाय शेष नहीं बचेगी । आगे जाकर गाय ‘डाइनोसोर’ की भांति विलुप्त हो जाएगी और उसे केवल चित्र में ही देखा जा सकेगा ! गोहत्या होना, तो हिन्दू धर्म की भरपाई न होनेवाली हानि है । अतः गोहत्या रोकने के लिए प्रयासशील बनिए !