छत्रपति शिवाजी महाराज के उदय से पूर्व गोमाता की गर्दन पर कसाई की छुरी कब चलेगी, यह बताया नहीं जा सकता था । महाराज का हिन्दू राष्ट्र स्थापित होते ही अभीतक आंखों से मौन होकर आंसू बहानेवाली गोमाताएं आनंदित होकर रंभाने लगीं । उस समय महाराज के पास ‘गोहत्या बंद कीजिए !’, इस मांग को लेकर लाखों हस्ताक्षर नहीं पहुंचे अथवा महाराज ने भी अपने मंत्रिमंडल में ‘गोहत्या प्रतिबंधक विधेयक’ नहीं रखा । केवल उस समय हुई हिन्दू राष्ट्र की स्थापना ही हिन्दूविरोधियों के मन में भय उत्पन्न करने में पर्याप्त सिद्ध हुई ! ‘केवल गोहत्याबंदी कानून करना पर्याप्त नहीं है, अपितु देश में गोपालक राज्यकर्ता होना भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है ।’, यह इससे ध्यान में आता है । ऐसे राज्यकर्ता मिलने के लिए धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र नहीं, अपितु धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र ही चाहिए ! (संदर्भ : सनातन का ग्रंथ ‘गोसंवर्धन’)