ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण पूर्ण !
मुख्य घटनाएं !
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वाराणसी (उत्तरप्रदेश) – यहां चित्रीकरण द्वारा १६ मई को ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण शांतिपूर्ण वातावरण में पूर्ण हुआ । कुल ३ दिन चला इस सर्वेक्षण का लेखाजोखा १७ मई को न्यायालय आयुक्त न्यायालय को सुपुर्द करेंगे । न्यायालय आयुक्त अजय प्रताप सिंह ने स्पष्ट किया कि यदि प्रलेख (लेखाजोखा) सिद्ध करने में समय लगा, तो २-३ दिन और लग सकते हैं इसे सुपुर्द करने में । तीसरे दिन के सर्वेक्षण में हिन्दू पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के छोटे कुंड में ११ फीट व्यास एवं ४ फीट ऊंचा शिवलिंग मिलने का दावा किया, तो मुसलमान पक्ष ने कहा, ‘ऐसा कुछ नहीं मिला है’ । इस कुंड को ‘वजू खाना’ कहा जाता है । नमाज के पूर्व मुसलमान यहां हाथ-पैर धोते हैं । अब न्यायालय के आदेशानुसार मुसलमान ऐसा नहीं कर सकेंगे । शिवलिंग के संदर्भ में हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन ने न्यायालय को इस शिवलिंग की जानकारी देकर उसे संरक्षण देने और वहां नमाज पठन की अनुमति रद्द करने की मांग की है । न्यायालय ने इस मांग को स्वीकार कर तालाब परिसर को संरक्षण देने का आदेश दिया । सर्वेक्षण के पूर्व तालाब का पानी निकालने पर शिवलिंग मिला । विशेष यह, कि काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थित नंदी के सम्मुख ही यह शिवलिंग मिला है ।
CRPF करेगी ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग की सुरक्षा, अदालत ने सील की जगह, वजू पर मनाही: जैसे ही दिखे बाबा, ‘हर-हर महादेव’ से गूँजा विवादित ढाँचा#Gyanvapisurvey #shivlinghttps://t.co/WJgsV5oX3A
— ऑपइंडिया (@OpIndia_in) May 16, 2022
ज्ञानवापी पूर्व में मंदिर ही था, अब यह कोई भी बता देगा ! – अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन
इस विषय में अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा, कि मस्जिद परिसर के वजू खाने में शिवलिंग मिलने की जानकारी सामने लाकर हमने न्यायालय के किसी भी आदेश का उल्लंघन नहीं किया है । मैंने जो कुछ बताया, लोगों को वह पहले से ही ज्ञात है । तथाकथित ज्ञानवापी मस्जिद के पश्चिम की भीत (दीवार) देखकर कोई भी बता देगा कि ‘वह हिन्दू मन्दिर था’ । इस भीत पर देवताओं की मूर्तियां रखने के लिए स्थान और घण्टा बनाए गए हैं । इसके पूर्व वर्ष १९९६ में ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था । जब दोनों सर्वेक्षणों का अंतर ध्यान में लिया, तो वहां विरोधी पक्ष पर ‘प्लेसेस ऑफ वर्शिप’ विधि लागू की जा सकती है । यह विधि हमें न्यायालय में जाने के अधिकार से रोक सकती है । यह विधि सर्वोच्च न्यायालय के दिए किसी भी न्यायालय में जाने के अधिकार का उल्लंघन करती है । ज्ञानवापी के प्रकरण में कुल ७ याचिकाएं प्रविष्ट हैं । अब इन सभी याचिकाओं को एकत्रित कर सुनावई की जाएगी ।
मस्जिद परिसर के टीले के सर्वेक्षण की मांग करेंगे ! – याचिकाकर्ता
याचिकाकर्ता सोहनलाल ने कहा कि न्यायालय के आदेश से सर्वेक्षण पूर्ण हुआ, तो भी हम इस परिसर में स्थित मिट्टी के टीले के सर्वेक्षण की मांग करेंगे । यह टीला मस्जिद के पश्चिम की ओर है । यहां हमारे देवताओं की मूर्तियां, शिलालेख एवं अन्य प्राचीन वस्तुएं होने की आशंका है ।
#WATCH "Shivling….Jiski Nandi pratiksha kar rahi thi… The moment things became clear the chants of 'Har Har Mahavdev' resonated in mosque premises," claims Sohan Lal Arya, petitioner in Gyanvapi mosque case, who accompanied the Court commission on mosque survey in Varanasi pic.twitter.com/iWwubz4wPa
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) May 16, 2022
क्या है प्रकरण ?
ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में श्री शृंगारगौरी देवी का स्थान है । यहां वर्ष में एक ही बार हिन्दुओं को पूजा करने की अनुमति दी गई थी । इसके विरोध में ५ महिलाओं ने न्यायालय में याचिका प्रविष्ट कर वहां प्रतिदिन पूजा करने की अनुमति मांगी । इस पर सुनवाई करते हुए इस परिसर का सर्वेक्षण करने की मांग सम्मुख आई, तब न्यायालय ने उस परिसर के सर्वेक्षण और चित्रीकरण का आदेश दिया । अब नवीन सर्वेक्षण के अनुसार न्यायालय में प्रलेख प्रविष्ट किया जाएगा और उसके पश्चात ‘वहां हिन्दुओं को प्रतिदिन श्री शृंगारगौरी की पूजा करने की अनुमति मिलेगी अथवा नहीं,’ यह स्पष्ट होगा । तथापि वर्तमान के सर्वेक्षण से जो स्पष्ट हुआ है, उससे प्राचीन काल में ‘ज्ञानवापी मस्जिद हिन्दुओं का श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ही था’, हिन्दू पक्ष यह घोषित करने की मांग कर सकते हैं ।
जानकारी खुली करने के कारण हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता का प्रवेश अस्वीकृत
१६ मई को सबेरे सर्वेक्षण के लिए न्यायालय आयुक्त, सहायक आयुक्त एवं दोनों पक्षों के अधिवक्ता इत्यादि के वहां पहुंचने पर हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता राम प्रसाद सिंह को ज्ञानवापी परिसर में प्रवेश से पुलिस ने रोका । सर्वेक्षण विषयक गोपनीय जानकारी खुली करने से उन्हें रोका गया ।