स्वतंत्रता के बाद देश में काँग्रेस न होती, तो भारत की लोकशाही परिवारवाद से मुक्ति रहती !

प्रधानमंत्री मोदी का राज्यसभा में काँग्रेस पर जोरदार हमला

नई दिल्ली – स्वतंत्रता के बाद यदि देश में काँग्रेस न होती, तो भारत की लोकशाही परिवारवाद से मुक्ति रहती । यह देश विदेशी की बजाय स्वदेशी के संकल्प पर चला होता, आपातकाल का कलंक ना लगा होता, देश में जातिवाद न रहता, सिखों की हत्या न होती, आतंकवाद न होता, कश्मीरी हिन्दुओं को कश्मीर न छोडना पडता, साथ ही सर्वसाधारण नागरिकों को मूलभूत सुविधाओं के लिए राह ना देखनी पडती, ऐसे कठ़ोर शब्दों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में काँग्रेस पर टिप्पणी की । वे संसद के बजट सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बोल रहे थे । इसके पहले उन्होंने लोकसभा में भी भाषण दिया । ‘स्वतंत्रता मिलने के समय ‘काँग्रेस को समाप्त करें’, ऐसा म.गांधी ने कहा था । यदि यह हुआ होता, तो देश में क्या हुआ होता’, यह बताते हुए मोदी ने काँग्रेस द्वारा की गलतियों का पहाडा  पढा ।

मोदी ने आगे कहा कि,

१. काँग्रेस ने परिवारवाद के आगे कभी विचार नहीं किया । देश को सबसे बडा खतरा यह परिवारवाद की पार्टी से है । पार्टी में जब एक परिवार प्रभावशाली बनता है, तब सबसे पहले गुणवत्ता को लक्ष्य किया जाता है । सभी पार्टियों को अपनी अपनी पार्टी में लोकशाही अमल में लानी चाहिए । काँग्रेस को इसका सबसे पहले विचार करना चाहिए ।

२. काँग्रेस उसके राज्य में साधारण सी बातों के लिए मुख्यमंत्रियों को हटाती थी । काँग्रेस ने अभी तक लगभग १०० बार चुनकर आई विविध राज्य सरकारों को समाप्त किया होगा । अब वे किस मुंह से लोकशाही के विषय में बोल रहे हैं ? एक प्रधानमंत्री ने ५० राज्य सरकारों को समाप्त किया है । इसका उत्तर जनता को देना पडेगा । आज उसी की सजा वे भोग रहे हैं । काँग्रेस के सत्ता की नशा के कारण आज तेलंगाना और आंध्रप्रदेश इन राज्यों में कटुता निर्माण हुई है ।

नेहरु के कारण गोवा भारत की स्वतंत्रता के बाद भी १५ वर्ष विदेशी नियंत्रण में रहा !

प्रधानमंत्री मोदी ने गोवा का उदाहरण देते हुए काँग्रेस पर लक्ष्य किया । उन्होंने कहा कि, सरदार पटेल ने हैदराबाद और जुनागड को स्वतंत्र करने के लिए व्यूहरचना की । वैसी ही व्यूहरचना गोवा के लिए भी की गई होती, तो गोवा को और १५ वर्ष पारतंत्र्य में न रहना पडता, पुर्तगालियों के अत्याचार न सहन करने पडते; लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू को विश्व में उनकी छवि महत्वपूर्ण लगती थी । उसे सहेजने के लिए गोवा की जनता को उसके हाल पर छोड दिया गया ।

स्वातंत्र्यवीर सावरकर की कविता पढी; इसलिए ह्रदयनाथ मंगेशकर को काँग्रेस ने आकाशवाणी से निकाल दिया !

इस समय मोदी ने कहा कि, लता मंगेशकर का परिवार गोवा का था । उनके परिवार के साथ कैसा व्यवहार किया यह जनता को पता चलना चाहिए । लता दीदी के भाई ह्रदयनाथ मंगेशकर को ‘ऑल इंडिया रेडियो’ से निकाला गया । उनका गुनाह इतना ही था कि, उन्होंने सावरकर के ऊपर की कविता रेडियो पर पढी थी । रेडियो पर यह कविता प्रस्तुत करने के पहले ह्रदयनाथ मंगेशकर ने स्वातंत्र्यवीर सावरकर से भेंट की थी । ‘मेरी कविता रेडियो पर पढकर आपको कारागृह में जाना है क्या ?’ उस समय ऐसा प्रश्न सावरकर ने उनसे पूछा था । मंगेशकर ने इस घटना का उल्लेख एक साक्षात्कार में किया था । ह्रदयनाथ मंगेशकर की कविता रेडियो पर प्रस्तुत करने के ८ दिन बाद उन्हें काम से निकाल दिया गया ।