गीता प्रेस की स्थापना के पश्चात, ९८ वर्षों में प्रथम बार धार्मिक पुस्तकों का रिकॉर्ड विक्रय !

धार्मिक जानकारी लेने की ओर हिन्दुओं की बढती रुचि !

‘भगवान नहीं है’, ‘धर्म अफीम की गोली है’, ऐसा कहने वाले कम्युनिस्टों के लिए यह करारा तमाचा है ! – संपादक

गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) – यहां की प्रसिद्ध गीता प्रेस की स्थापना के पश्चात, ९८ वर्षों में प्रथम बार, विगत ५ माह में रिकॉर्ड संख्या में धार्मिक पुस्तकों का विक्रय हुआ है । विक्रय हुई पुस्तकों में, भगवान राम से संबंधित ‘रामचरित मानस’ एवं ‘श्रीमद्भागवत गीता’ की संख्या सर्वाधिक है । प्रति वर्ष, गीता प्रेस की जितनी धार्मिक पुस्तकों का विक्रय होता है, उससे कहीं अधिक विक्रय विगत ५ माह में हुआ है । गीता प्रेस की स्थापना वर्ष १९२३ में हुई थी । हिन्दुओं में धार्मिक जानकारी प्राप्त करने की प्रवृत्ति बढी है ।

१. इस वर्ष जून माह में, ४ करोड ९३ लाख रुपए, जुलाई में ६ करोड ६४ लाख रुपए, अगस्त में ६ करोड ३१ लाख रुपए, सितंबर में ७ करोड ६० लाख रुपए, अक्टूबर में ८ करोड ६८ लाख रुपए एवं नवंबर में ७ करोड १५ लाख रुपए की पुस्तकों का विक्रय हुआ है ।

२. गीता प्रेस के विश्वस्तों का कहना है कि, “पूर्व में श्रीराम जन्मभूमि के विवाद के कारण, उस संबंध में कोई जान कर नहीं लेता था ; परंतु, अब चूंकि वहां एक भव्य मंदिर बन रहा है, लोग उसके संबंध में अधिक जानकारी लेना चाहते हैं । उसी प्रकार, धर्म के प्रति लोगों की श्रद्धा भी बढ रही है ।