कांचीपुरम (तमिलनाडु) में सरकारी भूमि पर निर्माण किया गया चर्च तोड दें ! – मद्रास उच्च न्यायालय का आदेश

  • कर्तव्य की उपेक्षा करने वाले सरकारी अधिकारियों की जांच कर कार्यवाही करने का भी न्यायालय का आदेश !

  • कब्रिस्तान पर अतिक्रमण कर पादरी द्वारा बनवाया गया चर्च !

  • यदि इस प्रकार के अतिक्रमण से बना चर्च गिराने का आदेश उच्च न्यायालय को देना पड रहा हो, तो प्रशासन क्यों चाहिए ? – संपादक

  • पादरी अर्थात ‘कानून के संरक्षक’, ‘शांति के दूत’, इस प्रकार की छवि देश की जनता में जानबूझकर बनाई गई है ; परंतु, वह कितनी गलत है, यह इस घटना से कानूनी पद्धति से प्रमाणित होता है ! क्या इस संबंध में धर्मनिरपेक्षतावादी एवं आधुनिकतावादी बात करेंगे ? – संपादक

  • तमिलनाडु में ईसाइयों के लिए पक्षपाती द्रमुक सरकार सत्ता में होने के कारण, पादरी वहां अवैध कार्य कर रहे होंगे, तो इसमें आश्चर्य की क्या बात है ? – संपादक
मद्रास उच्च न्यायालय

चेन्नई (तमिलनाडु) – मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु के कांचीपुरम के जिलाधीश को आगामी चार सप्ताह में सरकारी भूमि पर अवैध रूप से बना चर्च गिराने का आदेश दिया है । साथ ही, विभागीय राजस्व अधिकारी एवं तहसीलदार के विरूद्ध कर्तव्य की उपेक्षा के संदर्भ में जांच कर, सभी दोषियों के विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही करने का भी आदेश दिया है । याचिका कर्ता एम् मुरुगेसन द्वारा प्रविष्ट याचिका पर न्यायालय ने यह आदेश दिया ।

पादरी ने बलपूर्वक कब्रिस्तान पर बनवाया चर्च !

कागजातों की जांच करने एवं दोनों पक्षों के तर्क-वितर्क सुनने के पश्चात, न्यायालय ने पाया कि पादरी सी. सैथरेक ने  ग्रामीणों एवं स्थानीय अधिकारियों का विरोध होते हुए भी  सरकारी भूमि पर स्थित कब्रिस्तान पर अतिक्रमण कर लिया तथा वहां चर्च का निर्माण किया ।