विगत ७४ वर्षाें में देश ने अपेक्षित विकास नहीं किया; क्योंकि उसके लिए अपनाया गया मार्ग उचित नहीं था ! – सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत

सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत

नई देहली – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने यहां आयोजित कार्यक्रम में यह प्रतिपादन करते हुए कहा कि विगत ७५ वर्षाें में देश ने अपेक्षित विकास नहीं किया है; क्योंकि हमने विकास का जो मार्ग चुना, वह उचित नहीं था ।

सरसंघचालक ने आगे कहा कि,

१. भारत के लोगों ने इस भूमि को प्राचीन काल से मातृभूमि माना है । हमने यदि यही भूमिका स्थाईरूप से अपनाई और भाई-बहन के रूप में एकत्रित काम किया, तो भारत का विकास कोई नहीं रोक सकता ।

२. केवल चुनाव में टिकट मिलने के लिए की जानेवाली समाजसेवा सेवा नहीं होती, अपितु निस्वार्थभाव से सेवा करना ही सच्ची सेवा है; इसलिए केवल राजनीतिक उद्देश्य से सेवा नहीं करनी चाहिए ।

३. लोगों को केवल ‘जय श्रीराम’ नहीं बोलना चाहिए, अपितु प्रभु श्रीराम जैसा बनने का प्रयास भी करना चाहिए ।

हमें किसी का धर्मांतरण नहीं करना है, अपितु लोगों को जीवन कैसे जीना है ?, यह सिखाना है !

इस कार्यक्रम के एक दिन पूर्व संपन्न अन्य एक कार्यक्रम में सरसंघचालक ने कहा था कि हमें किसी का धर्मांतरण नहीं करना है, अपितु लोगों को जीवन कैसे जीना है ?, यह सिखाना है । हम भारतभूमि में जन्मे हैं और हमारा पंथ किसी की उपासनापद्धति को बदले बिना अच्छा मनुष्य बना सकता है’, यह सीख हमें समस्त विश्व को देनी है । भारत को विश्वगुरु बनाना है, तो हमें सभी को साथ लेकर चलने की आवश्यकता है ।