मंदिर में, ‘अरावणा पायसम’ प्रसाद, मंदिर के कर्मचारियों द्वारा शबरीमला में बनाया जाता है ! – केरल देवस्वम मंडल का स्पष्टीकरण

“शबरीमला मंदिर का ‘अरावणा पायसम’ प्रसाद, मंदिर परिसर में ‘अल-ज़ाहा’, इस अरबी नाम से कैसे उपलब्ध है एवं क्या वह ‘हलाल’ के रूप में प्रमाणित है ?” यह प्रश्न अभी भी अनुत्तरित है । क्या किसी मुसलमान द्वारा हिन्दू मंदिर में प्रसाद बनाया जाता है ? क्या यह प्रचार एक षड्यंत्र है ? क्या केरल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार इसकी जांच करेगी ?- संपादक

तिरुवनंतपुरम (केरल) – शबरीमला मंदिर में दिया जाने वाला पारंपरिक मीठा प्रसाद, मंदिर के कर्मचारियों द्वारा बनाया जाता है । केरल देवस्वम मंडल के कार्यकारी अधिकारी ने बताया, कि केवल चावल और गुड की आपूर्ति के ठेके बाहरी लोगों को दिए जाते हैं ।

केरल देवस्वम मंडल ने एक मुसलमान व्यक्ति को ‘अरावणा पायसम’  प्रसाद, जो शबरीमला मंदिर में भक्तों को दिया जाता है, बनाने के लिए अनुबंधित किया है । प्रसाद को अरबी नाम ‘अल-ज़ाह’ दिया गया है और इसका ‘हलाल’ प्रमाणित किया जाता है ; यह वृत्त सर्वत्र प्रसारित हुआ जिसके उपरांत पूरे देश से इस पर कडी प्रतिक्रिया आई । इसे स्पष्ट करते हुए अधिकारी ने कहा कि, “किसी अरबी प्रतिष्ठान को शबरीमला मंदिर में ‘अरावणा पायसम’ प्रसाद बनाने का ठेका नहीं दिया गया है ।” उन्होंने आगे कहा कि, “इस प्रकार का प्रसाद कोई और भी बना कर बेच सकता है ।”