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नई दिल्ली: बांग्लादेशी घुसपैठियों ने असम में ६,६५२ वर्ग किलोमीटर भूमि पर अतिक्रमण कर लिया है । यह क्षेत्र गोवा जैसे दो राज्यों जितना वृहत् है। दरांग जिले के धौलपुर में हजारों कट्टरपंथी प्रदर्शनकारियों ने अतिक्रमण विरोधी बल और पुलिस पर आक्रमण किया। इस आक्रमण में दो सिपाहियों की मृत्यु हो गई और ११ पुलिसकर्मी घायल हो गए। इस प्रकरण की जांच के उपरांत यह जानकारी सामने आई है।
१. प्राचीन मंदिरों की भूमि पर घुसपैठियों ने खुलेआम अतिक्रमण कर रखा है। उन्होंने सबसे अधिक वैष्णव मठों की भूमि पर अतिक्रमण किया है।
२. २०१४ में असम में बीजेपी सत्ता में आई थी। उस समय काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की भूमि से अतिक्रमणकारियों को खदेड़ने के लिए अभियान चलाया गया था। घुसपैठियों ने १५वीं-१६वीं शताब्दी के विद्वान श्रीमंत शंकरदेव की भूमि के बड़े भाग पर भी अतिक्रमण कर लिया था।
३. अतिक्रमण करने वालों में ज्यादातर बांग्लादेशी घुसपैठिए हैं, जो बंगाली बोलते हैं। २०१७ में एक सरकारी समूह की एक प्रतिवेदन में पाया गया कि कुछ लोग दिन-रात भूमि को हस्तगत करने का प्रयत्न कर रहे हैं। इनका विरोध करने वाले आदिवासियों को सशस्त्र घुसपैठियों का सामना करना पड़ता है। इस प्रकार बांग्लादेशी घुसपैठियों ने भूमि पर अतिक्रमण कर लिया है और कई गांवों का निर्माण किया है।
४. आर.टी.आई. के अनुसार असम में ४ लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र पर बांग्लादेशी कट्टरपंथियों का अतिक्रमण है। यह राज्य के कुल वन क्षेत्र का २२ प्रतिशत है। एक सरकारी समिति ने अपने अन्वेषण में पाया है कि असम के ३३ में से १५ जिलों में प्रमुख घुसपैठिए बांग्लादेशी हैं।
असम सरकार ने पी.एफ.आ.ई. पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की !
ऐसी मांग क्यों ? पी.एफ.आई. चूंकि एक जिहादी संगठन है जो देश के लिए घातक है, इसे प्रतिबंधित किया जाना चाहिए और इसके नेताओं को बंदी बनाया जाना चाहिए ! – संपादक
जिहादी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर असम सरकार ने धौलपुर में हुई हिंसा से जुड़े अहम दस्तावेज केंद्र को भेजे हैं। पी.एफ.आई. के जिहादियों ने पिछले तीन महीनों में घुसपैठियों से २८ लाख रुपये वसूले हैं। उसके बदले में उन्हें पी.एफ.आई. ने आश्वासन दिया है कि जिस भूमि पर आपने अतिक्रमण किया है, उसे खाली नहीं कराया जाएगा।