वायू प्रदूषण के विषय में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने घोषित किया नया गुणवत्ता स्तर !

हवा प्रदूषण के कारण प्रतिवर्ष ७० लाख लोगों की मृत्यु होती है !

१००-१५० वर्ष पहले विश्व में प्रदूषण नाम की कोई बात अस्तित्व में नहीं थी; लेकिन विज्ञान के कारण आज पृथ्वी और पृथ्वी के जीव समाप्त होने की दिशा में बढ रहे हैं । यह बुद्धिप्रमाण्यवादी और विज्ञानवादी कब स्वीकार करेंगे ? – संपादक

नई दिल्ली – विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वायु प्रदूषण के विषय में नया स्तर और नया गुणवत्ता स्तर घोषित किया है । इसके पहले इस संगठन ने वर्ष २००५ में वायु प्रदूषण के विषय में विविध स्तर निश्चित किए थे । अब १६ वर्षों बाद इन संगठन ने हवा की गुणवत्ता और प्रदूषण के विषय में नए स्तर घोषित किए हैं ।

१. पहले पी.एम. २.५ (पार्टिक्यूलेट मैटर – कण पदार्थ) इस प्रदूषण का हवा में एक क्युबिक मीटर पीछे (घन मीटर पीछे) २५ मायक्रोग्रॅम्स यह स्तर सुरक्षित समझा जाता था । अब बदले स्तर के अनुसार १५ मायक्रोग्रॅम्स यह स्तर भी सुरक्षित नहीं है। ऐसा विश्व स्वास्थ्य संगठन ने घोषित किया है ।

२. वायु प्रदूषण में जो ६ सर्वसाधारण प्रदूषण समझे जाते हैं, इन सभी का हवा में गुणवत्ता स्तर बदल रहा है । ओजोन, नायट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड और कार्बन मोनॉक्साईड का हवा में गुणवत्ता स्तर में बदलाव किया गया है ।

३. केवल भारत ही नहीं, तो वर्ष २००५ के स्तरानुसार प्रदूषित घोषित किए गए देशों की सीधे ९० प्रतिशत जनसंख्या इस नए स्तरानुसार ‘गंभीर’ दिशा में जा रही है ऐसा विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है । केवल वायु प्रदूषण के कारण विविध बीमारियों से प्रतिवर्ष ७० लाख लोगों की मृत्यु हो रही है ,ऐसा संगठन ने कहा है ।

४. दिल्ली जैसे शहर वायु प्रदूषण के गंभीर स्तर पर हैं । प्रदूषण के नए स्तरानुसार पी.एम. २.५ ,यह प्रदूषण दिल्ली जैसे शहर में लगभग १७ गुना अधिक है । नए स्तरानुसार मुंबई में वायु प्रदूषण ९ गुना अधिक है, कोलकाता शहर में ८ गुना, तो चेन्नई शहर में ५ गुना अधिक है ।