हिन्दुत्वनिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन का दिल्ली उच्च न्यायालय में तर्कवाद !
क्या है धारा १५३ ?उत्तेजक वक्तव्य देकर समाज की शांति भंग करना, दंगल करना, इन प्रकरणों में, आरोपी के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा १५३ के अंतर्गत अपराध प्रविष्ट किया जाता है । |
नई दिल्ली – “किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में हिन्दू राष्ट्र की मांग करने का अर्थ, दो धर्मों के मध्य शत्रुता निर्माण करना नहीं है । मैं अत्यंत दायित्व के साथ बोल रहा हूं कि, यदि न्यायालय को लगता है, कि भारतीय दंड संहिता की धारा १५३ के अंतर्गत ‘हिन्दू राष्ट्र’ की मांग करना अपराध है, तो मैं आरोपी की जमानत के लिए याचिका प्रविष्ट नहीं करूंगा”, ऐसा तर्कवाद हिन्दुत्वनिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने दिल्ली उच्च न्यायालय में अपने पक्षकार प्रीत सिंह के पक्ष में किया । कुछ सप्ताह पूर्व, प्रीत सिंह ने दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना आंदोलन आयोजित किया था । उस समय, कुछ लोगों द्वारा कथित तौर पर आपत्तिजनक नारे लगाने के आरोप में प्रीत सिंह के विरुद्ध प्रकरण प्रविष्ट किया गया तथा उन्हें बंदी बना लिया गया है । वे वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं । न्यायालय ने दोनों पक्षों का तर्क सुनने के पश्चात, निर्णय सुरक्षित रख लिया है । इस प्रकरण में, कार्यक्रम के मुख्य आयोजक होने वाले भाजपा नेता एवं अधिवक्ता (श्री) अश्विनी उपाध्याय की जमानत स्वीकृत कर दी गई है ।
Demanding Hindu Rashtra does not promote enmity between religious groups, hate speech accused tells HC https://t.co/P3GzxRVr0X
— TOI Delhi (@TOIDelhi) September 15, 2021
प्रसार माध्यमों से बात करते हुए, अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन ने कहा, ‘मेरे पक्षकार ने ऐसा कोई वक्तव्य नहीं दिया है जिसके लिए उनके विरुद्ध धारा १५३ के अंतर्गत प्रकरण प्रविष्ट किया जा सके ।’ धरना आंदोलन दोपहर ११.४५ बजे समाप्त हुआ था तथा सायंकाल ४.४५ बजे वहां कथित आपत्तिजनक नारेबाजी हुई थी । मेरा पक्षकार वहां उपस्थित ही नहीं था ।