(कहते हैं) ‘भारत तय करे कि वो तालिबान को मित्र मानता है या शत्रु ?’ – तालिबान

  • एक छोटे से देश का आतंकवादी संघठन भारत के संदर्भ में ऐसी उजड्ड भाषा का प्रयोग करता है और भारत इस प्रकार के विधान को पचा लेता है, यह लज्जास्पद है! तालिबान को सबक सिखाने के लिए भारत सरकार कौन से कदम उठाएगी ? – संपादक

  • अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान से निकलते ही तालिबान के आतंकवादियों का सुर तेज हो गया है । तालिबान की बोलती बंद करने के लिए उसके दिल को झकझोर दें, ऐसी कार्यवाही भारत को करनी चाहिए ! – संपादक


काबुल – वर्तमान में तालिबान (‘तालिब’ का अर्थ इस्लामी कट्टरता पर विश्वास रखने वाले विद्यार्थी’, ऐसा है । ‘तालिब’ का बहुवचन ‘तालिबान’ । ‘तालिबान’ का अर्थ ‘मांगने वाला’ होता है ।) और अफगानिस्तान की सेना के बीच भारी कोलाहल चल रहा है । तालिबान ने अफगानिस्तान के बडे़ हिस्से पर नियंत्रण कर लिया है और देश की राजधानी काबुल को उन्होंने घेर लिया है । इस पृष्ठभूमि पर तालिबान  के प्रवक्ता मोहम्मद सोहिल शाहीन को भारत के ‘एन.डी.टी.वी.’ इस न्यूज चैनल के पत्रकार ने ‘भारत को आप मित्र मानते हैं या शत्रु ?’ ऐसा प्रश्न पूछा । उसी समय ‘आप को यह अपनी सरकार से पूछना चाहिए कि, वे तालिबान को मित्र मानते हैं यख शत्रू ? यदि भारत अफगानिस्तान की जनता को हमारे विरोध में लडने के लिए बंदूकें, शस्त्र और विस्फोटक दे रहा होगा, तो हम इस ओर ‘बैर भावना से की गई कार्यवही’ ऐसी दृष्टि से देखेंगे; लेकिन भारत ने अफगानिस्तान में शांति और विकास के लिए काम किया, तो हम उसे बैर भावना नहीं कहेंगे । क्या करना है वो भारत तय करे’, ऐसी अभद्र भाषा में वक्तव्य किया । (भारत के विमान अपहरण के समय कंदहार हवाई अड्डे पर तालिबान ने भारत विरोधी आतंकवादियों को सभी प्रकार की सहायता की थी । ऐसे तालिबान द्वारा भारत को प्रश्न पूछना बहाना बनाने समान है ! तालिबान भारत का शत्रु ही है ।भारत को तालिबान को समाप्त करने के लिए सभी प्रकार के प्रयास करने चाहिए ! – संपादक) साथ ही ‘भारत ने अफगानिस्तान के विकास के लिए जो भी किया, उसके लिए हम आभारी हैं’, ऐसा भी उसने स्पष्ट किया ।

(कहते हैं) ‘किसी भी देश के दूतावास और वहां के कर्मचारियों को हानि नही पहुंचाएंगे !’

ए.एन.आई. इस वृत्त संस्था से बोलते समय शाहीन ने कहा कि, अफगानिस्तान की भूमि का प्रयोग किसी भी देश के विरोध में कार्यवाही के लिए नहीं किया जाएगा । साथ ही किसी भी देश के दूतावास और वहां के कर्मचारियों को हानि नहीं पहुंचाई जाएगी । यह हमारा वचन है । इस विषय में हम आश्वासन देते हैं, ऐसा भी उसने कहा । (तालिबान की बातों पर कौन विश्वास करेगा ? विष की परीक्षा कौन लेगा ? – संपादक)

(कहते हैं) ‘पाक से हमें कोई मदद नहीं !’

शाहीन ने बताया कि, पाकिस्तान हमारी मदद कर रहा है ,ऐसा कहा जा रहा है; लेकिन यह समाचार झूठा है । यह केवल राजनीति है । (झूठा तालिबान ! पाक के नागरिक तालिबान को सहायता कर रहे हैं । तालिबान की ओर से वे लड रहे हैं, यह बात उजागर होने पर भी इसे नकारना यह विश्व की आंखों में धूल फेंकने का प्रयास है ! – संपादक)

भारत और तालिबान के बीच चर्चा चालू होने की जानकारी नहीं !

‘भारत की तालिबान से चर्चा चालू है क्या ?’ ऐसा प्रश्न पूछने पर, ‘हमने भी समाचार सुना कि, भारतीय अधिकारी दोहा और अन्य स्थानों पर तालिबान से चर्चा कर रहे हैं; लेकिन इसकी पक्की जानकारी मेरे पास नहीं है ।’

इस्लामिक स्टेट और अल कायदा को अनुमति देंगे !

शाहीन ने आगे कहा कि, अफगानिस्तान में तालिबानी सत्ता आने पर इस्लामिक स्टेट और अल कायदा जैसे आतंकवादी संघठनों को काम करने की अनुमति देंगे । (एक ओर ‘अफगानिस्तान की भूमि का प्रयोग किसी भी देश के विरोध में कार्यवाही करने नहीं देंगे’, ऐसा कहना और दूसरी ओर इस्लामिक स्टेट और अल कायदा को अनुमति देंगे यही दोहरी नीति है ! – संपादक)

भारत की प्रशंसा !

शाहीन ने कहा कि, भारत ने अफगानिस्तान के नागरिकों के लिए बांध, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय परियोजनाएं और अन्य विकास के काम किए । अफगानिस्तान के नागरिकों की आर्थिक संपन्नता के लिए किए कामों की हम प्रशंसा करते हैं ।

(कहते हैं) ‘भारत के अफगानिस्तान में सेना भेजने पर बुरे परिणाम होंगे !’ – तालिबान

भारतीय सेना की क्षमता क्या है, यह संपूर्ण विश्व ने देखा है । इस कारण भारत द्वारा उजड्ड तालिबान को अब सही सबक सिखाने की आवश्यकता है ! – संपादक

भारत द्वारा अफगानिस्तान सरकार की सहायता के लिए उसकी सेना को अफगानिस्तान भेजना और भारतीय सेना कायम स्वरुप वहां ही रहने वाली होगी, तो उनके लिए यह अच्छा नहीं होगा । अफगानिस्तान में रहने वाले अन्य देशों के सैनिकों की क्या अवस्था हुई है ,यह भारत ने देखा होगा, ऐसा शाहीन ने कहा है ।