‘सीपीईसी’ परियोजना का भारत की भूमि पर काम तुरंत रोकें ! – भारत की चीन और पाक को चेतावनी

भारत की ओर से दोनों देशों को पहली बार कठोर शब्दों में चेतावनी !

  • अनेक वर्षों से शत्रु राष्ट्र की ओर से भारत भूमि पर भारत विरोधी प्रकल्प चालू रहते हुए भी सरकार ने उसे अभी तक रोका क्यों नहीं ? उठते बैठते कभी भी किसी भी सूत्र पर सरकार को कोसने वाले विरोधी पार्टी वाले इस विषय में सरकार से एक भी शब्द क्यों नहीं पूछते ?
  • लागों, चीन और पाकिस्तान द्वारा हमारी सहस्रों एकड भूमि हडपने के बाद भी स्वतंत्रता के पश्चात् ७४ वर्षों में अभी तक के शासनकर्ताओं ने इन कलाकृतियों को वापस लेने के लिए कुछ भी प्रयास नहीं किए, यह सत्य जानिए ! अब केवल यह हिंदू राष्ट्र में ही सम्भव होगा !
  • कहां इंच इंच भूमि के लिए स्वयं के प्राणों का बलिदान देने वाले शूर सैनिक, तो कहां सहस्रों एकड भूमि छोड़ने वाले स्वतंत्रता के बाद ७४ वर्षों में अभीतक के शासनकर्ता !
  • देश की सीमाओं की रक्षा शाब्दिक चेतावनी देकर नहीं, तो कठोर कृति करने से होती है, यह सरकार को अब तो ध्यान में लेकर कृति करनी चाहिए, ऐसी जनता की अपेक्षा है !

नई दिल्ली – ‘चीन-पाकिस्तान इकोनोमिक कोरिडोर’ अर्थात् ‘सीपीईसी’ की परियोजना यह भारत की भूमि पर चल रही है । अनाधिकृत तौर पर कब्जे में ली गई भारतीय भूभाग पर चालू इस परियोजना का काम तुरंत रोकें, ऐसी चेतावनी भारत ने चीन और पाकिस्तान को दी है । ‘सीपीईसी’ पर भारत ने दोनो देशों को पहली बार कठोर शब्दों में चेतावनी दी है ।

पाकिस्तान के विदेशमंत्री शाह महमूद कुरैशी और चीन के विदेशमंत्री वांग ई के बीच बीजिंग में हाल ही में बैठक हुई । इस बैठक के बाद प्रेस में दिए संयुक्त निवेदन में दोनो देशों की ओर से जिस प्रकार काश्मीर का उल्लेख किया गया, उसपर भारत ने कडे़ शब्दों में विरोध किया है । साथ ही दोनो देशों को भारत के आंतरिक बातों में हस्तक्षेप बंद करना चाहिए, ऐसे समझाते हुए ‘सीपीईसी’ विषय पर उपरोक्त चेतावनी दी है ।

भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘‘जम्मू-काश्मीर और लद्दाख ,ये भारत के अविभाज्य अंग हैं और आगे भी रहेंगे । चीन और पाकिस्तान इनके संयुक्त निवेदन में ‘सीपीईसी’ परियोजना का उल्लेख किया गया है । हमने दोनो देशों को हमेशा ही बताया है कि यह तथाकथित परियोजना पाकिस्तान द्वारा अनाधिकृत तौर पर कब्जे में ली भारत की भूमि पर चालू है । इस परियोजना को हमारा विरोध होकर यह काम तुरंत रोकें, साथ ही भारत की आंतरिक बातों में हस्तक्षेप करना भी बंद करें ।’’

‘सीपीईसी’ के विषय में वर्ष २०१५ में हुई बैठक पर भारत का बहिष्कार !

चीन ने ‘सीपीईसी’ परियोजना पर पहली बैठक वर्ष २०१५ में बुलाई थी । इसपर भारत ने बहिष्कार करते हुए विरोध दर्ज किया था । भारत के विरोध के बाद फ्रांस, अमेरिका, इंग्लैंड, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने भी अंतर्राष्ट्रीय विकास परियोजनाओं के संदर्भ में अन्य देशों की भौगोलिक अखंडता का आदर करने को कहा था ।