देहली के चीनी दूतावास द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भारत के वामपंथी दल एवं द्रमुक आदि दलों के नेताओं का सहभाग !

चीन के कम्युनिस्ट दल की १०० वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में कार्यक्रम !

  • राष्ट्रवादी नागरिकों को शत्रुराष्ट्र के दूतावास द्वारा आयोजित किए गए कार्यक्रम में सम्मिलित होनेवाले राजनीतिक दलों के नेताओं को इसका स्पष्टीकरण पूछना चाहिए !
  • भारत के वामपंथियों द्वारा भारतविरोधी गतिविधियों चलाने में चीन की सदैव ही सहायता किए जाने का इतिहास है । इसलिए उनके नेताओं द्वारा ऐसे कार्यक्रम में सम्मिलित होने में आश्चर्य की कोई बात नहीं है ! सरकार को अब ऐसे राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगाने पर विचार करना चाहिए !
चीन के राजदूत सुन वीडांग

नई देहली – चीन के सत्ताधारी कम्युनिस्ट दल की १००वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में भारत के देहली स्थित चीनी दूतावास की ओर से एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था । इसमें भारत के कम्युनिस्ट दल, द्रविड मुन्नेत्र कळघम् (द्रविड प्रगति संघ) और अन्य कुछ राजनीतिक दलों के कुछ नेता सम्मिलित हुए । उनमें माकपा महासचिव सीताराम येच्युरी, भारतीय कम्युनिस्ट दल के महासचिव डी. राजा, सांसद डॉ. एस्. सेंथिलकुमार, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के के.जी. देवराजन् आदि अंतर्भूत थे ।

(कहते हैं) ‘चीन एवं भारत एक-दूसरों के लिए बाधा न बनकर पूरक बनना चाहिए !’ – चीन

इस कार्यक्रम के समय चीन के राजदूत सून वीडांग ने कहा कि भारत और चीन शत्रु नहीं हैं, अपितु एक-दूसरे के लिए पूरक हैं । इन दोनों देशों को एक-दूसरे के विकास में बाधा न बनकर पूरक बनना चाहिए । (विश्वासद्रोही चीन की इन बातों का कौन विश्वास करेगा ? – संपादक)

गलवान घाटी के संघर्ष का उल्लेख करते हुए वीडांग ने कहा कि चीन ने अनेक बार स्वयं की भूमिका स्पष्ट की है । (स्वयं की भूमिका का अर्थ ‘हम गलत नहीं थे, अपितु भारत ने ही चूक की’, यही बताने का चीन ने अभीतक प्रयास किया है । इस कार्यक्रम के माध्यम से भारतीय नेताओं के सामने झूठ बोलनेवाले चीन से इन नेताओं ने स्पष्टीकरण क्यों नहीं मांगा ? – संपादक)