कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से मरीजों के मरने के अनेक मामले मीडिया और अन्य माध्यमों द्वारा सामने आए । इस कारण जनता के लिए यह संवेदनशील विषय है । इस विषय में जानकारी देते समय सरकार को जनता की भावना का सम्मान करना चाहिए और इस विषय की गहराई से जांच कर जानकारी संसद में देनी चाहिए, ऐसी लोगों की अपेक्षा है !
नई दिल्ली – संसद के वर्षाकालीन सत्र में केंद्र सरकार ने २० जुलाई के दिन ‘कोरोना महामारी की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी के कारण देश के किसी भी राज्य और केंद्रशासित प्रदेश में एक भी मरीज की मृत्यु होने की जानकारी नहीं मिली है’, ऐसी जानकारी दी । इसपर विरोधी पार्टियों ने टिप्पणी की ।
Govt says no deaths due to lack of oxygen reported by states/UTs; dumbfounded citizens call it 'state of denial'#OxygenCrisis #OxygenShortage #OxygenDeaths #COVID19 #SecondWave #Viral https://t.co/xFuJ3lrsV4
— Free Press Journal (@fpjindia) July 21, 2021
काँग्रेस के नेता सांसद राहुल गांधी ने ‘केवल ऑक्सीजन की ही कमी नहीं थी, तो संवेदनशीलता और सत्य की भी कमी थी और आज भी है’, ऐसे शब्दों में सरकार पर टिप्पणी की । काँग्रेस के सांसद के.सी. वेणुगोपाल ने इस सूत्रपर स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडवीय के विरोध में प्रस्ताव लाएंगे, ऐसा बताया । (काँग्रेस ने सत्ता में रहते हुए इतने वर्ष जनता विरोधी कार्य किए । अन्यों पर टिप्पणी करते समय काँग्रेसी नेताओं को इस विषय में आत्मपरीक्षण करना चाहिए ! – संपादक)
स्वास्थ्य मंत्री की ओर से राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का ब्योरा प्रसारित !
विरोधियों के आक्षेप के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडवीय ने ट्वीट कर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के ब्योरे प्रसारित किए । मांडवी ने कहा कि, राज्य और केंद्रशासित प्रदेश कोरोना से होने वाली मृत्यु के आंकडे नियमित केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजते थे; लेकिन एक भी राज्य अथवा केंद्रशासित प्रदेश ने ‘ऑक्सीजन की कमी के कारण कोरोना मरीज की मृत्यु हुई’, ऐसी जानकारी नहीं दी । (राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने गलत जानकारी दी, यह स्पष्ट है । यदि ऐसा है, तो भी सही जानकारी प्राप्त कर उसे संसद में देना सरकार की ओर से अपेक्षित है ! – संपादक) कोरोना की पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर के समय मेडिकल ऑक्सीजन की मांग बहुत बढ गई थी । पहली लहर में ३ सहस्र ९५ ‘मीट्रिक’ टन ऑक्सीजन की मांग थी, तो दूसरी लहर में यह मांग ९ सहस्र ‘मीट्रिक’ टन हो गई थी ।