वर्तमान में राष्ट्र विघातक शक्तियों का जोर बढ रहा है । अभिव्यक्ति स्वतंत्रता के नाम पर अनेक बार देश विरोधी विधान किए जाते हैं । ऐसा होने पर भी, इसका दुरुपयोग ही हो रहा है । यह ध्यान में रखते हुए सरकार को इस कानून की त्रुटि दूर कर उसे अधिक से अधिक परिपूर्ण करना चाहिए, ऐसी जनता की अपेक्षा है !
देशद्रोही कानून क्या है ?
भारतीय दंड संहिता की धारा १२४ अ में देशद्रोही कानून की व्याख्या की है । इस कानून के अनुसार किसी व्यक्ति ने सरकार के विरोध में कुछ लिखा या बोला या ऐसे सूत्रों को छिपाने पर संबंधितों को आजीवन कारावास या ३ वर्ष की सजा का प्रावधान है । |
नई दिल्ली – ‘देशद्रोही कानून’ यह अंग्रेजों का कानून है । ब्रिटिशों ने अपनी स्वतंत्रता को बचाने के लिए इसका प्रयोग किया था । इसका प्रयोग म. गांधी और लोकमान्य तिलक के विरोध में किया गया था । ७५ वर्ष बाद भी हमें इस देशद्रोही कानून की आवश्यकता है क्या ? ऐसा प्रश्न उच्चतम न्यायालय ने एक याचिका की सुनवाई करते समय पूछा । यह याचिका निवृत्त मेजर जनरल एस.जी. वोंमबटकेरे ने प्रविष्ट की है । इसमें उन्होंने देशद्रोही कार्यवाहियों के लिए भा.दं.सं की धारा १२४ अ को चुनौती दी है ।
इस याचिका में वोंमबटकेरे ने कहा कि, यह कानून लोगों की अभिव्यक्ति स्वतंत्रता में बाधा निर्माण करता है । अभिव्यक्ति स्वतंत्रता लोगों का मूलभूत अधिकार है । यह कानून पूर्णरूप से संविधान के विरोध में होने से रद्द करना चाहिए ।
Supreme Court questions the Centre over the utility of sedition law after 75 years of independence.#sedition #seditionlaw https://t.co/lMMeD7ibNd
— Zee News English (@ZeeNewsEnglish) July 15, 2021
मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना द्वारा रखे सूत्र
१. सरकार अनेक कानून रद्द कर रही है, तो इस देशद्रोह के कानून के विषय में क्यों विचार नही करती ?
२. यह धारा अर्थात् बढई को लकडी़ काटने के लिए आरी दिए जाने पर उसके द्वारा पूरा जंगल (वन) काटने के समान है । जब हम इस कानून का इतिहास देखते हैं, तब जैसे किसी आरी से एक पेड़ काटने की बजाए पूरा जंगल काटा जा सकता है, ऐसे में इसका प्रयोग खतरनाक स्तर पर किया गया ।
३. धारा १२४ अ के कारण पुलिस को इतना अधिकार मिला है कि, वे जुआ खेलने वाले पर भी देशद्रोह का गुनाह लगा सकती है ।
४. स्थिति इतनी बुरी है कि, यदि सरकार अथवा पार्टी किसी की आवाज नहीं सुनना चाहती है, तो संबंधितों के विरोध में इस कानून का प्रयोग करेगी । इतनी विकट स्थिति निर्माण हुई है ,लोगों के सामने यही गंभीर प्रश्न है । केंद्र सरकार यह कानून ही क्यों नही हटा देती ?
धारा रद्द करने की आवश्यकता नहीं ! – केंद्र सरकार
केंद्र सरकार की ओर से अॅटर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने न्यायालय में बताया कि, यह कानून पूरी तरह रद्द करने की आवश्यकता नहीं; लेकिन दिशा-निर्देश निर्धारित किए जाने चाहिए । इस धारा का निश्चित ही दुरुपयोग रोकने के लिए प्रयास किया जा सकता है । ऐसा करने से कानून का हेतु साध्य होगा ।
पिछले १० वर्षों में ११ सहस्र लोगों के विरोध में देशद्रोह का गुनाह प्रविष्ट !
देश में कानून और सुव्यवस्था के विषय में शोध करने वाली संस्था ‘आर्टिकल-१४ डॉट कॉम’ के इस वर्ष फरवरी माह की रिपोर्ट में कहा है कि, वर्ष २०१० से २०२० इन १० वर्षों में देश में ११ सहस्र लोगों पर ८१६ देशद्रोह के गुनाह प्रविष्ट किए गए हैं । इसमें ६५ प्रतिशत गुनाह वर्ष २०१४ के बाद प्रविष्ट किए गए हैं ।