‘तालिबान ने चीन को कहा ‘मित्र’: अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण के लिए चीन से सहायता लेगा तालिबान !

तालिबान और चीन की मित्रता भारत के लिए घातक है तथा आज अथवा कल तालिबानी अपने आतंकियों का उपयोग भारत के विरुद्ध करके रहेगा, इसे ध्यान में लेकर भारत को उस दिशा में अभी से ही आक्रामक रणनीति अपनानी चाहिए !

तालिबान प्रवक्ता सुहैल शाहीन

बीजिंग – अफगानिस्तान के जिहादी संगठन तालिबान ने चीन को ‘मित्र’ कहा है और केवल इतना ही नहीं, अपितु तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाही ने ‘धीस वीक इन एशिया’ नियतकालिक से बात करते हुए यह जानकारी दी कि अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण के लिए आवश्यक निवेश के लिए चीन के साथ शीघ्र ही संवाद किया जाएगा । शाहीन ने यह दावा भी किया कि अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान से सैन्य वापस ले जाने के उपरांत अफगानिस्तान का ८५ प्रतिशत प्रदेश हमारे नियंत्रण में आया है ।

शाहीन ने आगे कहा कि चीनी निवेशक, साथ ही उनके कर्मचारी अफगानिस्तान में पुनः आनेवाले हों, तो हम उनकी सुरक्षा की आश्वस्तता देते हैं । हम चीन का स्वागत करते हैं; परंतु हम चीन में स्थित विभाजनवादी उघूर मुसलमानों को अफगानिस्तान में शरण नहीं देंगे । (चीन के मुसलमानों पर वहां की सरकार के द्वारा अत्याचार हो रहे हैं । ऐसी स्थिति में उसके विरुद्ध आवाज उठानेवाले उघूर मुसलमानों को तालिबानी आतंकी विभाजनकारी बोलते हैं । इससे कश्मीरी मुसलमानों पर हो रहे कथित अत्याचारों के संदर्भ में आक्रोश करनेवाले तालिबान की दोहरी नीति ध्यान में आती है ! – संपादक) अफगानिस्तान में अल् कायदा अथवा अन्य किसी भी आतंकी संगठन अपनी गतिविधियां नहीं चला सकेंगे । (स्वयं ही आतंकी होनेवाले तालिबान का व्यंग ! – संपादक) इससे पूर्व शाहीन ने तालिबान भारत के साथ शांतिपूर्ण संबंध रखने के इच्छुक होने की बात कही थी ।