देवास (मध्य प्रदेश) के एक गांव में किसान कर रहे हैं औषधि वनस्पतियों की खेती !

सोयाबीन जैसी फसलों से हुई हानि के कारण लिया गया निर्णय सिद्ध हुआ लाभदायक !

  • केंद्र एवं राज्य सरकारों को ऐसी फसलें उगाने में किसानों की सहायता करनी चाहिए । इससे आनेवाले आपातकाल में लोगों को आयुर्वेदिक औषधियां अधिक मात्रा में एवं कम मूल्य में  उपलब्ध होंगी !
तुलसी एवं अश्वगंधा की खेती

देवास (मध्य प्रदेश) – देवास जनपद में कुछ किसानों ने पारंपरिक फसलों के स्थान पर आयुर्वेदिक औषधियों की खेती करना आरंभ कर दिया है । कमलापुर गांव के एक युवा किसान राकेश जाट ने गांव के अनेक किसानों को औषधि वनस्पतियों की खेती के संबंध में जागरूक किया है । इसके पश्चात अब ५० से अधिक किसान इन वनस्पतियों की खेती कर रहे हैं । इसमें विशेषतः तुलसी एवं अश्वगंधा की खेती की जा रही है । पहले ये किसान सोयाबीन उगाते थे; परंतु पानी की कमी, रोग  आदि के कारण, उचित उत्पादन नहीं हो पाता था आैर उन्हें घाटा होता था इसलिए उन्होंने सोयाबीन की खेती बंद कर दी ।

१.  राकेश जाट ने कहा कि उन्होंने वर्ष २०१५-१६ से औषधि वनस्पतियों की खेती करना आरंभ कर दिया था । पहले १ बीघा क्षेत्र पर पौधे लगाए तथा अब १० बीघा क्षेत्र पर ये पौधे लगाए जा रहे हैं । इसके लिए जबलपुर के कृषि विशेषज्ञों का  भी मार्गदर्शन प्राप्त हो रहा है ।

2. राकेश जाट ने कहा कि तुलसी एवं अश्वगंधा के लिए पानी की समस्या उत्पन्न नहीं होती एवं वे कीटकों से प्रभावित नहीं होती हैं । इन पौधों के लिए रासायनिक उर्वरकों की भी कोई आवश्यकता नहीं होती । जैविक खाद का प्रयोग किया जाता है । एक बीघा क्षेत्र पर तुलसी उगानेकी लागत डेढ सहस्र रुपए आती है। इससे १५ से १८ सहस्र रुपए की आय होती है ।