पाठ्यपुस्तकों के गलत इतिहास में परिवर्तन करनेवाली संसदीय समिति ने सुझाव मंगाने की तिथि १५ जुलाई तक बढ़ाई !

  • स्वतंत्रता के पश्चात के ७४ वर्षों तक जनता को गलत इतिहास पढाने देनेवाले दोषियों को सरकार तुरंत फांसी पर लटकाए, एेसी जनता की मांग है !
  • स्वतंत्रता से आज तक अर्थात ७४ वर्ष जनता को गलत इतिहास पढने देनेवाला संसार का एकमात्र देश भारत ! यह अभी तक के राज्यकर्ताआें के लिए लज्जाजनक !
(प्रतिकात्मक छायाचित्र)

नई देहली – केंद्र सरकार ने इतिहास की पाठ्य पुस्तकों की त्रुटियों को दूर करने और उनके स्थान पर वास्तविक जानकारी देने के प्रयत्न प्रारंभ किए हैं । इसके लिए संसदीय समिति का गठन किया गया है । यह समिति भारत भर की पाठ्यपुस्तकों में इतिहास के त्रुटिपूर्ण संदर्भ खोजने का महत्त्वपूर्ण कार्य कर रही है। संसदीय समिति ने इस संबंध में परामर्श व और सुझाव मांगे हैं और इच्छुक शिक्षकों, छात्रों और अन्य नागरिकों को ३० जून तक अपने सुझाव प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया था । कोरोना की दूसरी लहर के कारण कुछ विशेषज्ञ अपने सुझाव प्रस्तुत नहीं कर पाए । इसलिए परामर्श एवं सुझाव देने की अवधि १५ जुलाई तक बढ़ा दी गई है।

इस समिति के अध्यक्ष और सांसद विनय सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि भारत में विद्यालयीन पाठ्यपुस्तकों में देश को प्रथम स्थान दिया जाना चाहिए । १९७५ के आपातकाल और १९९८ के पोखरण परमाणु परीक्षण को भी पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित किया जाना चाहिए । इतिहासकारों के एक विशिष्ट समूह ने गलत संदर्भ दिए थे । ऐसे इतिहासकारों का वर्चस्व समाप्त होना चाहिए।