ऐसी याचिका क्यों देनी पडी ? सरकार स्वयं ऐसा क्यों नहीं करती ?
नई दिल्ली – उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर पश्चिम बंगाल राज्य से रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करने और उन्हें निकाल बाहर कर, वापस भेजने की मांग की गई है । याचिका में यह भी मांग की गई है, कि केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार को एक वर्ष के भीतर सभी घुसपैठियों को बाहर निकालने की समय सीमा दी जाए । याचिका पश्चिम बंगाल के वर्धमान शहर की मानवाधिकार कार्यकर्ता संगीता चक्रवर्ती ने दायर की है । याचिका में राज्य में चुनाव के उपरांत हुई हिंसा का भी संदर्भ दिया गया है ।
Report | Plea filed in Supreme Court to deport illegal Rohingyas, #Bangladeshi infiltrators from #WestBengal.https://t.co/LGQQWFEVs9
— TIMES NOW (@TimesNow) June 26, 2021
याचिका में कहा गया है कि,
१. बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण पश्चिम बंगाल में लूटपाट, मारपीट और अपहरण की घटनाओं में वृद्धि हुई है । बांग्लादेशी घुसपैठियों की जनसंख्या ५ करोड तक पहुंच गई है । इससे देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा को खतरा है । भारत में स्वतंत्र रूप से घूमने का अधिकार केवल भारतीयों को है । घुसपैठियों को नहीं ।
२. बांग्लादेशी घुसपैठियों को देश में सहज ही आधार कार्ड, राशन कार्ड, मतदान पत्र मिल जाता है । सरकारी अधिकारियों, पुलिस कर्मियों, ट्रैवल एजेंटों और घुसपैठियों की सहायता करने वाले सुरक्षा रक्षकों की पहचान की जानी चाहिए और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत उनपर मुकदमा चलाया जाना चाहिए तथा ऐसे अधिकारियों की संपत्ति जब्त कर ली जानी चाहिए ।
३. भारतीय दंड संहिता में संबंधित कानून को कडा किया जाना चाहिए और इस अपराध को गैर-जमानती बनाया जाना चाहिए ।