जब तक लोगों को उकसा करा हिंसाचार नहीं किया जाता है, तब तक हर नागरिक को सरकार की आलोचना करने का अधिकार है ! – सर्वोच्च न्यायालय

नई देहली : एक नागरिक के रूप में सरकार और उसके पदाधिकारियों द्वारा लिए गए निर्णयों की आलोचना करने का अधिकार सभी नागरिकों को है । सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि यह अधिकार तब तक सीमित है जब तक सरकार के विरोध में आलोचना के फलस्वरूप हिंसा व अशांति उत्पन्न नहीं की जाती । न्यायालय ने पत्रकार विनोद दुआ के विरुद्ध प्रविष्ट देशद्रोह के आरोप को निरस्त करते हुए आदेश पारित किया । गतवर्ष शिमला में भाजपा नेता श्याम द्वारा दुआ के विरोध में शिकायत पकरने के उपरांत उनके विरुद्ध अपराध प्रविष्ट किया गया था ।

न्यायालय ने कहा कि दुआ का वक्तव्य सरकार और उसके अधिकारियों के कार्य को नकारता है तथा वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अनुरूप है तथा ऐसी आलोचना अधिक अच्छा कार्य करने के लिए प्रेरित कर सकती है । इस आलोचना का उद्देश्य लोगों को भड़काना नहीं था, जिससे कानून और व्यवस्था बाधित हो ।